नई दिल्ली। सुुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार(28 फरवरी) को सहारा समूह को निर्देश दिया कि वह अपने मुखिया सुब्रत राय को जेल से बाहर रखने के लिए सेबी-सहारा खाते में सात अप्रैल तक 5092.6 करोड रुपए जमा कराए। न्यायालय ने कहा कि यह धनराशि निवेशकों को लौटाई जाएगी।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति ए के सिकरी की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने सहारा समूह को अपनी संपत्तियां बेचने के लिए छह महीने का वक्त और देने से इंकार कर दिया, लेकिन धन लौटाने के लिये उसे न्यायालय को सौंपी गई सूची में शामिल संपत्तियों को बेचने की अनुमति दे दी।
पीठ ने टिप्पणी की कि यदि सहारा समूह सात अप्रैल तक 5092.6 करोड रूपए की राशि में से ‘पर्याप्त धन’ जमा कराता है तो न्यायालय दूसरी संपत्तियों को बेचने के लिये समय आगे बढ़ा सकता है। न्यायाधीशों ने कहा कि सहारा समूह इन सूचियों में से एक में शामिल 15 में से 13 संपत्ति बेचकर राशि जमा करा सकता है और वह दूसरी सूची में शामिल देनदारियों से मुक्त संपत्तियों को भी बेच सकता है।
पीठ ने कहा कि इस तथ्य के मद्देनजर हम अवमाननाकर्ता को सूची के भाग-एक में शामिल संपत्तियों में 14 और 15 में अंकित को छोडकर शेष संपत्ति तथा भाग-बी में शामिल देनदारी मुक्त अन्य संपत्तियों को बेचने और 5092.6 करोड रूपए सात अप्रैल से पहले जमा कराने की अनुमति देते हैं। यह धनराशि सेबी-सहारा धन वापसी खाते में जमा कराई जाएगी। न्यायालय ने कहा कि यदि उस समय तक पर्याप्त धन जमा कराया जाता है तो शीर्ष अदालत समय सीमा बढ़ा सकती है।