अब कोई भी कुछ भी बोले राफ़ेल में भ्रष्टाचार हुआ है, दलाली खाई गई है…. “चेहरे पर जो लाली है राफ़ेल की दलाली है”

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एक सच को छुपाने के लिए हज़ार झूठ बोलना पड़ता है। राफ़ेल के मामले में कुछ ऐसा ही हो रहा है। सवाल बहुत साफ़ है 540 करोड़ रुपये का लड़ाकू विमान 1670 करोड़ रुपये का क्यों ख़रीदा गया? एक विमान पर 1 हज़ार करोड़ से ज़्यादा यानि कुल 36 हज़ार करोड़ का घोटाला किया गया?

दूसरा सवाल 78 साल पुरानी HAL कम्पनी जिसका लड़ाकू विमान बनाने में लम्बा अनुभव है… जिस पर कोई क़र्ज़ नही… जिसके पास हज़ारों योग्य इंजीनियर हैं… जो ख़ुद राफ़ेल बनाने में आत्मनिर्भर हो जाती… ऐसी कम्पनी को हटाकर 12 दिन पुरानी अनुभवहीन रिलायंस कम्पनी को हज़ारों करोड़ का ठेका क्यों दिया गया?

इस पर सरकार की कुछ बचकानी दलील सुनकर आप हैरान हो जायेंगे। सरकार कहती है ये सीक्रेट डील है दाम नही बता सकते, जबकि दाम बताने पर कोई प्रतिबंध नहीं और अगर ऐसा था तो मुझे राज्यसभा में रक्षा राज्य मंत्री ने जवाब क्यों दिया? इसी प्रकार अन्य सांसदों को लोकसभा में रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भमरे ने दाम बताया लेकिन राज्यसभा और लोकसभा के जवाब में मंत्री ने चालाकी से झूठ बोला। लोकसभा में कहा with equipment 670 करोड़ का लड़ाकू विमान है।

मुझे राज्य सभा में जवाब दिया without equipment 670 करोड़ का लड़ाकू विमान है। तो सवाल उठता है मंत्री ने झूठ क्यों बोला? कहा जा रहा है विमान मंगाने की जल्दी थी इसलिये Flyway condition में 36 विमान का सौदा हुआ तो अभी तक एक भी विमान आया क्यों नही? सरकार ने संसद में बताया 2019 से Delivery शुरू होगी और 2022 तक ख़त्म होगी।

मोदी सरकार कहती है, “ये तय करना फ़्रान्स की कम्पनी का अधिकार है की भारत में उसका partner कौन होगा।” ये बयान हास्यास्पद भी है और मूर्खतापूर्ण भी। क्या सरकार रक्षा सौदे जैसे अतिसंवेदनशील सौदे में किसी भी देश को दाऊद की कम्पनी को partner बनाने की छूट दे देगी? फिर सरकार की सरकारी नीति में साफ़ लिखा है उपकरण बनाने वाली अनुभवशील कम्पनी को ही partner बनाया जा सकता है।

सरकार ने अपने द्वारा बनाई गई रक्षा ख़रीद नीति का उल्लंघन क्यों किया? क्या सरकार में बैठे लोगों को इतनी भी समझ नही की अम्बानी की कम्पनी अनुभवहीन है जबकि HAL सारी योग्यता पूर्ण करती है। फ़्रान्स के पूर्व राष्ट्रपति का बयान आने के बाद से भूचाल आ गया है। ओलांद ने बताया कि भारत सरकार झूठ बोल रही है रिलायंस का नाम भारत सरकार ने दिया था।

इस बयान के बाद बौखलाई मोदी सरकार अलग-अलग बयान देकर जनता को गुमराह कर रही है। अब Dassault कम्पनी कह रही है उसने partner ख़ुद तय किया, लेकिन मोदी सरकार की सच छिपाने की कोशिश फिर नाकाम हुई है। एक वीडिओ सामने आया है जिसमें Dassault के CEO कह रहें हैं, “HAL के साथ डील जल्द फ़ाइनल हो जायेगी” इस बैठक में HAL के चेयरमैन और वायुसेना प्रमुख भी मौजूद थे, मज़ेदार बात ये है की ये मीटिंग मोदी जी द्वारा रिलायंस को ठेका दिलाने के 17 दिन पहले की गई।

सवाल ये है की अगर 17 दिन पहले तक HAL के नाम पर Dassault कम्पनी के CEO सहमत थे तो अचानक ऐसा क्या हो गया की HAL की जगह रिलायंस आ गई। इससे साफ़ है की अब कोई भी कुछ भी बोले राफ़ेल में भ्रष्टाचार हुआ है दलाली खाई गई है “चेहरे पर जो लाली है राफ़ेल की दलाली है”। रिलायंस ने मेरे ख़िलाफ़ 5000 करोड़ का मानहानि का नोटिस भेजा था। अब तस्वीर साफ़ है, मैं मज़बूत साक्ष्यों के साथ कोर्ट में अपना पक्ष रखूंगा और मोदी सरकार को बेनक़ाब करूंगा।

(लेखक आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सांसद हैं। इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति ‘जनता का रिपोर्टर’ उत्तरदायी नहीं है।)

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