हरियाणा: रुचिका छेड़खानी मामले में दोषी पूर्व डीजीपी राठौर गणतंत्र दिवस पर VIP लोगों के साथ मंच पर दिखा

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बहुचर्चित रूचिका गिहरोत्रा छेड़छाड़ मामले में दोषी करार दिए जा चुके हरियाणा के पूर्व डीजीपी एसपीएस राठौड़ को गणतंत्र दिवस पर आयोजित समारोह में मंच पर जगह देने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है।

फोटो- abp news

एसपीएस राठौर रुचिका गिरहोत्रा केस का दोषी है और जेल भी जा चुका है। बावजूद इसके उसे पंचकुला में गणतंत्र दिवस के मौके पर सरकारी मंच पर आगे की पंक्ति में बैठाया गया, इस दौरान मंच पर तमाम अफसर और गणमान्य अतिथि शामिल थे।

नवभारत टाइम्स की ख़बर के मुताबिक, एसपीएस राठौड़ गणतंत्र दिवस वाले दिन पंचकूला के सेक्टर 5 में वीआईपी दीर्घा में पहली पंक्ति में दिखाई दिए थे और ध्वजारोहण के कुछ देर बाद समारोह स्थल से चले गए थे। इस प्रकरण में लंबी लड़ाई लड़ने वाली रुचिका की सहेली अनुराधा ने राठौड़ की गणतंत्र समारोह में मौजूदगी को तिरंगे का अपमान करार दिया है।

उन्होंने कहा कि राठौड़ को निश्चित तौर पर आयोजन के लिए निमंत्रण दिया गया होगा, तभी वह समारोह में शामिल हुए। यह पंचकूला जिला प्रशासन के स्तर पर भी शर्मनाक बात है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से दोषी करार दिए गए व्यक्ति को इस तरह के आयोजन में बुलाने का यही अर्थ है कि प्रशासन सीधे तौर पर ऐसे अपराधियों को प्रोत्साहित कर रहा है।

समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए अराधान गुप्ता ने कहा कि, ‘यह बेहद दुख की बात है। प्रशासन को इस बात का जवाब देना चाहिए। उसे किसने निमंत्रण भेजा था? प्रशासन के ऐसे व्यवहार के बाद कोई भी लड़की अपने आपको सुरक्षित महसूस नहीं कर सकती है।’

नवभारत टाइम्स के मुताबिक, इस पूरे मामले पर पंचकूला जिला प्रशासन ने चुप्पी साधी हुई है। इस बारे में कोई भी अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। एक सीनियर अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि गणतंत्र दिवस के अवसर पर आयोजन के लिए अतिथियों को निमंत्रण के मामले में कहीं कोई भूल हो गई होगी। इस समारोह में जिला प्रशासन के तमाम सीनियर अफसरों के अलावा अंबाला के डिविजनल कमिश्नर विवेक जोशी मुख्य अतिथि थे।

गौरतलब है कि, रुचिका छेड़छाड़ मामला 12 अगस्त 1990 को हुआ था। उस समय राठौड़ हरियाणा के डीजीपी पद पर थे और छेड़छाड़ की घटना उनके पंचकूला स्थित घर पर हरियाणा लॉन टेनिस असोसिएशन ऑफिस में हुई थी। छेड़छाड़ से तंग आकर रुचिका ने 1993 में आत्महत्या कर ली थी।

लेकिन, रुचिका के माता-पिता मधु प्रकाश और आनंद प्रकाश ने रुचिका को न्याय दिलाने के लिए लगातार लड़ाई लड़ी। लंबी लड़ाई के बाद रुचिका के पिता को इंसाफ मिला और राठौर को निचली अदालत ने दोषी माना।

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