राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के एक विचारक का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस वायरल वीडियो में आरएसएस नेता के इतिहास ज्ञान को लेकर जमकर मजाक उड़ाया जा रहा है। दरअसल, आरएसएस नेता ने एक समाचार चैनल पर परिचर्चा के दौरान हैरान करने वाला दावा करते हुए कहा कि दिल्ली में स्थित प्रसिद्ध जामा मस्जिद पहले यमुना मंदिर था।इतना ही आरएसएस विचारक ने एक और आश्चर्यचकित दावा करते हुए कहा कि आगरा में स्थित ताजमहल को शाहजहां ने नहीं बनवाया था, बल्कि इस ऐतिहासिक स्मारक को 11वीं शताब्दी में एक हिंदू राजा द्वारा बनवाया गया था। इसके अलावा उन्होंने दावा किया कि दिल्ली के लालकिला को तोमरों ने बनाया था। संघ विचारक के इस अनोखे ज्ञान का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर शेयर किया जा रहा है।
पेशे से वकील आरएसएस विचारक देश रतन निगम ने यह दावा एनडीटीवी के एक कार्यक्रम में बहस के दौरान कही। निगम के इस हैरान करने वाले दावों को सुनकर कार्यक्रम के एंकर विक्रम चंद्रा ने अपना सिर पकड़ लिया। साथ इस बहस में शामिल अन्य मेहमान भी हैरान रह गए। निगम ने कहा कि, ताजमहल एक राष्ट्रीय प्रतीक है, लेकिन मेरा मानना है कि इसे शाहजहां द्वारा नहीं बनवाया गया था, ताजमहल 1000ई.पू. में बनाया गया था।
उन्होंने कहा कि यह साबित हो सकता है ये सभी जगह हिंदुत्व के प्रतीक हैं। वहीं निगम ने आगे कहा कि दिल्ली में स्थित लाल किला को तोमर राजवंश द्वारा बनाया गया था।” साथ ही उन्होंने दावा किया कि दिल्ली का जामा मस्जिद मूल रूप से यमुना मंदिर था और वह इसे साबित कर सकते हैं। इस वीडियो को शेयर कर लोग अपने-अपने अंदाज में जमकर मजा ले रहे हैं।
Don’t laugh at this man’s stupidity. Won’t be surprised if this becomes an authentic piece of history books in new India. pic.twitter.com/o8oHvxRGu6
— Rifat Jawaid (@RifatJawaid) March 10, 2018
This RSS historian argues Taj Mahal, Lal Qila and Juma Msajid have not been built by Mughal Emperor Shah Jahan but by Hindu Rulers – Enough evidence to send the RSS to mental asylum! https://t.co/UKcofGcbMe
— Ashok Swain (@ashoswai) March 10, 2018
Don’t laugh at this man’s stupidity. Won’t be surprised if this becomes an authentic piece of history books in new India. pic.twitter.com/o8oHvxRGu6
— Rifat Jawaid (@RifatJawaid) March 10, 2018
Ha ha ha ha ha tomorrow he will say #AirBus #Boeing inspired by Pushpak ????
Sanghis are funny ????
Own interpretation by Chaddi dharis ????
Indeed these guys brain filled with Gobbar ????Comedy show with Gobbar Sanghis ????
Modi said kaurav is the first stemcel research in the world ????— El_Joe (@lets_say_truth) March 10, 2018
मोदीजी ने कहा है कि देश मे सब है बस चेंज लाने वाले मिशन की जरूरत है..
इनकी मजबूरी ये है कि ये पीएम नहीं, यूपी रोडवेज में कंडक्टर हैं..! ?? #A— भावना जोशी (@JaiShriRam971) March 10, 2018
मोदी सरकार फिर से लिखेगी भारत का इतिहास?
आरएसएस विचारक के इस दावों को पिछले दिनों आई उस खबर से भी जोड़कर देखा जा रहा है जिसमें दावा गया था कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार एक बार फिर से नए सिरे से भारत का इतिहास लिखेगी। जानकारों का कहना है कि क्या आरएसएस नेता इतिहास बदलने की उस खबर की पुष्टि कर रहे हैं? दरअसल, पिछले दिनों एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि मोदी सरकार ने एक समिति का गठन किया है।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक खबर के अनुसार, मोदी सरकार भारतीय इतिहास को दोबारा से लिखने की कोशिश कर रही है। रॉयटर्स से बातचीत के दौरान इस कमेटी के चेयरमैन केएन दीक्षित ने बताया कि समिति को एक रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है, जो प्राचीन भारतीय इतिहास के कुछ पहलुओं को दोबारा से लिखने में सरकार की मदद करेगी। एनडीटीवी ने भी अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने भी एक इंटरव्यू के दौरान स्वीकार किया है कि इस समिति का काम भारतीय इतिहास को संशोधित करने की बड़ी योजना का हिस्सा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, समिति का उद्देश्य ऐसे पुरातात्विक साक्ष्यों का इस्तेमाल करना है, जो यह साबित कर सके कि हिंदू ही सबसे प्राचीन लोगों के उत्तराधिकारी हैं और प्राचीन हिंदू शास्त्रों में कोई मनगढ़ंत कथाएं नहीं, बल्कि तथ्य हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक मनमोहन वैद्य ने भी रॉयटर्स से बातचीत के दौरान कहा कि, “भारतीय इतिहास का असली रंग भगवा है और सांस्कृतिक परिवर्तन लाने के लिए हमें इतिहास को दोबारा लिखना होगा।”
हालांकि दूसरी तरफ सरकार ने इतिहास दोबारा लिखे जाने की बात से इनकार किया है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने अलग-अलग क्षेत्र के 17 लोगों को लेकर एक कमेटी बनाई है, जो 12,000 साल पहले से लेकर अब तक भारतीय संस्कृति की शुरुआत और उसमें अन्य संस्कृतियों के मिलने के बाद हुए बदलावों का अध्ययन करेगी। इस समिति का कार्यकाल 1 साल का होगा। वहीं, मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ऐसी किसी समिति को लेकर जानकारी होने से इनकार किया है।