रामदेव के वैदिक शिक्षा बोर्ड की मान्यता अभी प्रधानमंत्री की स्वीकृति के इंतजार में है, जिससे सारे देश में सीबीएसई बोर्ड की तर्ज पर लागू किया जाएगा लेकिन इससे पहले आएसएस अपने ‘बालागोकुलम’ को लेकर आ गया है। आरएसएस को अपनी इस शिक्षा व्यवस्था को लागू कराने के लिये किसी की स्वीकृति की भी जरूरत नहीं है।
जनसत्ता के अनुसार आरएसएस के ‘बालागोकुलम’ के अंर्तगत् देशभर के पांच हजार केन्द्रो पर सप्ताहिक क्लास लगाकर राष्ट्रभक्ति की ट्रेनिंग दी जाएगी। ये कक्षाएं सप्ताह में दो घंटे होंगी। इसके लिये संघ प्रचारकों को टीचर्स विशेषकर इतिहास और भाषा के टीचर ढूढ़ने के लिए कहा गया है। जो बच्चों को आरएसएस के हिसाब से इतिहास पढ़ा सके।
कक्षाएं प्रचारकों के घर या सामुदायिक केंद्र में भी लगाई जाएंगी। इन सप्ताहिक कक्षाओं मेें देशभर के नये बच्चों और किशोरों को आरएसएस से तो जोड़ा ही जाएगा साथ ही साथ उन्हें हिन्दू महाकाव्य के अलावा पुराण, श्लोक और देशभक्ति के पाठ पढ़ाए जाएगें।
आरएसएस ने ‘बालागोकुलम’ की शुरुआत 1975 में केरल से की थी, इसका पंजीकरण राष्ट्रीय संस्कृति आंदोलन के तौर पर साल 1981 में करवाया गया था। चूंकि इस समय देश में भाजपा की सरकार है जिसे आरएसएस नियंत्रित करता है तब ऐसे में आरएसएस की एक बेहद खास बैठक में ‘बालागोकुलम’ के विस्तार करने का फैसला लिया गया है। इसमें 18 वर्ष तक युवाओं को आरएसएस अपने पाठ पढ़ाएगा।
अंग्रेजी अखबार ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक आरएसएस की केरल यूनिट द्वारा मेट्रो शहरों में कई कक्षाएं पहले से ही चला रही है और अब इसके विस्तार के लिये केरल यूनिट से इन क्लासेज का अन्य शहरों और गांवों में बढ़ाने के लिए कहा गया है।