रेप केस: पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति को जमानत देने के लिए जजों-वकीलों ने लिए थे 10 करोड़

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उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। रेप मामले में फिलहाल जमानत पर बाहर चल रहे प्रजापति को लेकर एक नया विवाद शुरू हो गया है। रेप जैसे संगीन आरोप में घिरे गायत्री को बीते दिनों मिली जमानत को लेकर एक और नया खुलासा हुआ है।दरअसल, रिपोर्ट के मुताबिक, प्रजापति को जमानत मिलना पहले से ही तय था, उन्हें जमानत दिलवाने में वकीलों के साथ-साथ एक वरिष्ठ जज भी शामिल थे। इतना ही नहीं, प्रजापति को जमानत देने के लिए 10 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ था। यह चौंकाने वाला खुलासा इलाहाबाद हाई कोर्ट की एक जांच रिपोर्ट में हुआ है।

रिपोर्ट के मुताबिक, अतिरिक्त जिला और सेसन जज ओपी मिश्रा को 7 अप्रैल को उनके रिटायर होने से ठीक तीन सप्ताह पहले ही पोक्सो (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस) जज के रूप में तैनात किया गया था। जज ओपी मिश्रा ने ही गायत्री प्रजापति को 25 अप्रैल को रेप के मामले में जमानत दी थी।

ओपी मिश्रा की नियुक्ति नियमों की अनदेखी करते हुए और अपने काम को बीते एक साल से ‘उचित रूप से करने वाले’ एक जज को हटाकर हुई थी। अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की एक रिपोर्ट से हवाले से बताया कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस दिलीप बी भोसले ने प्रजापति को जमानत मिलने की जांच के आदेश दिए थे।

इस जांच में संवेदनशील मामलों की सुनवाई करने वाली अदालतों में जजों की पोस्टिंग में हाई लेवल भ्रष्टाचार की बात सामने आई है। इस तरह की अदालतें रेप और हत्या जैसे जघन्य अपराधों के मामलों की सुनाई करती हैं। इंटेलिजेंस ब्यूरो ने जज की पोक्सो पोस्टिंग में घूसखोरी की बात कही है।

रिपोर्ट के मुताबिक, गायत्री प्रजापति को जमानत देने के लिए 10 करोड़ रुपये की डील हुई थी। इस रकम से पांच करोड़ रुपये उन तीन वकीलों को दिए गए जो मामले में बिचौलिए की भूमिका निभा रहे थे, बाकी के पांच करोड़ रुपये पोक्सो जज (ओपी मिश्रा) और उनकी पोस्टिंग संवेदनशील मामलों की सुनवाई करने वाली कोर्ट में करने वाले जिला जज राजेंद्र सिंह को दिए गए थे।

फिलहाल, जिला जज राजेंद्र सिंह से पूछताछ की जा चुकी है। राजेंद्र सिंह को पदोन्नत कर हाई कोर्ट में तैनात किया जाना था, लेकिन इस मामले के सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने उनका नाम वापस ले लिया है और आगे की प्रक्रिया लंबित है।

रिपोर्ट के मुताबिक, 18 जुलाई 2016 को पोक्सो जज के रूप में लक्ष्मी कांत राठौर की तैनाती की गई थी और वह बेहतरीन काम कर रहे थे। उन्हें अचानक से हटाने और उनके स्थान 7 अप्रैल 2017 को ओपी मिश्रा की पोस्को जज के रूप में तैनाती के पीछे कोई औचित्य या उपयुक्त कारण नहीं था। मिश्रा की तैनाती तब की गई जब उनके रिटायर होने में मुश्किल से तीन सप्ताह का समय था।

बता दें कि सपा सरकार में मंत्री रहे गायत्री प्रजापति के खिलाफ रेप के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस ने 17 फरवरी को एफआईआर दर्ज की थी। उन्हें 15 मार्च को गिरफ्तार कर लिया गया था। वहीं, 24 अप्रैल को उन्होंने जज ओपी मिश्रा की अदालत में जमानत की अर्जी दी और उन्हें मामले की जांच जारी रहने के बावजूद जमानत दे दी गई।

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