गृह मंत्री अमित शाह के ‘एक देश एक भाषा’ के बयान के विरोध में अभिनेता कमल हासन के बाद रजनीकांत भी उतर आए हैं। उन्होंने बुधवार को कहा कि पूरे भारत में एक ही भाषा की संकल्पना संभव नहीं है और हिंदी को थोपे जाने की हर कोशिश का केवल दक्षिणी राज्य ही नहीं, बल्कि उत्तर भारत में भी कई लोग विरोध करेंगे।

तमिल फिल्मों के सुपरस्टार और मशहूर अभिनेता रजनीकांत ने कहा कि हिंदी को थोपा नहीं जाना चाहिए क्योंकि पूरे देश में एक ही भाषा की संकल्पना ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ रूप से लागू नहीं की जा सकती। उन्होंने चेन्नई हवाईअड्डे पर संवाददाताओं से कहा, ‘‘केवल भारत ही नहीं, बल्कि किसी भी देश के लिए एक आम भाषा होना उसकी एकता एवं प्रगति के लिए अच्छा होता है। दुर्भाग्यवश, हमारे देश में एक आम भाषा नहीं हो सकती, इसलिए आप कोई भाषा थोप नहीं सकते।’’
उन्होंने कहा, ‘‘विशेष रूप से, यदि आप हिंदी थोपते हैं, तो तमिलनाडु ही नहीं, बल्कि कोई भी दक्षिणी राज्य इसे स्वीकार नहीं करेगा। उत्तर भारत में भी कई राज्य यह स्वीकार नहीं करेंगे।’’ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हिंदी को पूरे भारत की आम भाषा बनाने की हाल में वकालत की थी जिसकी पृष्ठभूमि में रजनीकांत ने यह बयान दिया है।
गृह मंत्री अमित शाह ने 14 सितंबर हिंदी दिवस पर एक कार्यक्रम में देश के लिए एक भाषा हिंदी पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि देश की एकजुटता के लिए ‘एक देश एक भाषा’ होनी चाहिए। गृह मंत्री का यह बयान आने पर खासतौर से दक्षिण भारत में इसका विरोध होना शुरू हो गया। शाह के इस बयान का सबसे पहले विरोध मक्कल नीधि मय्यम (एमएनएम) के प्रमुख वाइको ने किया। वाइको ने कहा, ‘इससे देश में भाषा युद्ध शुरू हो जाएगा। तमिलनाडु में हिंदी स्वीकार नहीं की जाएगी। तमिल पर हमें गर्व है और हम इसे नहीं छोड़ेंगे।’
वहीं, अभिनेता से राजनेता बने कमल हासन ने कहा कि हिंदी के खिलाफ तमिलनाडु में जल्लीकट्टू से तीखा विरोध होगा। अपने वीडियो में कमल हासन ने कहा था कि, ‘अनेकता में एकता भारत की खासियत है और भारत जब गणतंत्र बना तो इसे कायम रखने का वादा किया गया। कोई भी शाह, सुल्तान अथवा सम्राट इसे बदल नहीं सकता। हिंदी के खिलाफ हमारा विरोध जल्लीकट्टू से ज्यादा तीव्र होगा। भारत अथवा तमिलनाडु में इस तरह के भाषाई युद्ध की जरूरत नहीं है।’ (इंपुट: भाषा के साथ)
Now you are constrained to prove to us that India will continue to be a free country.
You must consult the people before you make a new law or a new scheme. pic.twitter.com/u0De38bzk0
— Kamal Haasan (@ikamalhaasan) September 16, 2019