ट्रेन में सफर के दौरान अकसर देखा गया है कि स्थानीय चोर उचक्के लोगों के कीमती सामानों पर हाथ साफ कर देते हैं। लेकिन अब एक उपभोक्ता कोर्ट के अादेश से इस मामले में रेलवे पर अंगुली भी नहीं उठाई जा सकेगी। जी हां, राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने उस महिला को कोई राहत देने से इनकार कर दिया है, जिसका सूटकेस ट्रेन से सफर के दौरान खो हो गया था।न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, आयोग ने कहा कि सामान बुक नहीं किए जाने और उसकी रसीद जारी नहीं होने की स्थिति में रेलवे जिम्मेदार नहीं है। साथ ही शीर्ष उपभोक्ता आयोग ने निचले आयोग के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें रेलवे से ममता अग्रवाल नाम की महिला को मुआवजा देने का आदेश दिया गया था।
रिपोर्ट के अनुसार, महिला पश्चिम बंगाल की रहने वाली हैं। वर्ष 2011 में लोकमान्य तिलक शालीमार एक्सप्रेस ट्रेन में सफर के दौरान उनका सूटकेस कथित तौर पर चोरी हो गया था। आयोग ने छत्तीसगढ़ राज्य आयोग के आदेश को रद्द कर दिया, जिसने जिला मंच के एक फैसले को कायम रखते हुए उससे यात्री को 1.30 लाख रुपये अदा करने का आदेश दिया था।
एनसीडीआरसी ने रेलवे की इस दलील पर सहमति जताई कि रेल अधिनियम 1989 की धारा 100 के मुताबिक यह किसी सामान के गुम होने, नष्ट होने, क्षतिग्रस्त हो जाने या किसी सामान के नहीं मिलने पर तब तक जिम्मेदार नहीं होगा ,जब तक कि रेलवे ने सामान बुक नहीं किया हो और रसीद जारी नहीं की हो।
शिकायत के मुताबिक सफर के दौरान ममता के सूटकेस में सोने की 3 चेन, हीरे की 2 अंगूठी और एक सााधारण अंगूठी सहित 3 लाख रुपये की चीजें थी। इसके अलावा उसमें 15,000 रुपये नकद और बच्चों के कपड़े भी थे। हालांकि उपभोक्ता कोर्ट का यह फैसला यात्रियों के लिए झटके के रूप में देखा जा रहा है।