सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ कथित ‘आपत्तिजनक’ ट्वीट करने को लेकर उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए पत्रकार प्रशांत कनौजिया की तत्काल जमानत पर रिहाई के आदेश दिए हैं। पत्रकार प्रशांत कन्नौजिया की पत्नी ने कल गिरफ्तारी के खिल सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस मसले को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी अपने आधिकारिक अकाउंट पर ट्वीट किया है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पत्रकार को गिरफ्तार किए जाने की कड़ी आलोचना करते हुए उसे तत्काल रिहा करने की मांग की है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने इस गिरफ्तारी को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ पर तीखा हमला बोला और कहा कि उन्हें अनुचित व्यवहार करने की बजाए पत्रकार को तुरंत रिहा कर देना चाहिए। साथ ही राहुल ने मीडिया पर भी चुटकी लेते हुए कहा कि अगर आपत्तिजनक पोस्ट के आधार पर गिरफ्तारी होती है तो उनके ऊपर की गई टिप्पणियों के लिए कई टीवी चैनल और अखबारों के आधे से अधिक पत्रकार गिरफ्तार हो सकते हैं।
राहुल ने ट्वीट कर लिखा, “यदि मेरे खिलाफ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी प्रायोजित दुष्प्रचार प्रचार के तहत की जाने वाली झूठी खबरों को लेकर पत्रकारों को जेल में डालें तो ज्यादातर अखबारों और समाचार चैनलों में पत्रकारों की बहुत कमी हो जाएगी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को मूर्खतापूर्ण व्यवहार करने की बजाए गिरफ्तार पत्रकार को तुरंत रिहा कर देना चाहिए।”
If every journalist who files a false report or peddles fake, vicious RSS/BJP sponsored propaganda about me is put in jail, most newspapers/ news channels would face a severe staff shortage.
The UP CM is behaving foolishly & needs to release the arrested journalists. https://t.co/KtHXUXbgKS
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 11, 2019
वहीं, राहुल गांधी के इस ट्वीट को शेयर करते हुए बहन व कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट कर यूपी सरकार पर निशाना साधा है। प्रियंका ने ट्वीट कर लिखा, “जनता के मुद्दों पर काम करने की बजाय, उत्तर प्रदेश सरकार पत्रकारों, किसानों, प्रतिनिधियों पर डर का डंडा चला रही है।”
जनता के मुद्दों पर काम करने की बजाय, उत्तर प्रदेश सरकार पत्रकारों, किसानों, प्रतिनिधियों पर डर का डंडा चला रही है। https://t.co/gm50MlivjG
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) June 11, 2019
सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार को तत्काल रिहा करने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में गिरफ्तार पत्रकार प्रशांत कनौजिया को बड़ी राहत प्रदान करते हुए उन्हें जमानत पर तत्काल रिहा करने का मंगलवार को आदेश दिया। बहरहाल, पीठ ने यह भी कहा कि जमानत देने का यह मतलब नहीं है कि वह सोशल मीडिया पर डाले गए पत्रकार के ट्वीट या पोस्ट को सही ठहरा रही है।
न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की अवकाशकालीन पीठ ने प्रशांत की पत्नी जगीशा अरोड़ा की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्रवाई और निचली अदालत द्वारा 22 जून तक न्यायिक हिरासत में भेजने के फैसले की आलोचना की। पीठ ने कनौजिया को जमानत देते हुए कहा कि आजादी का अधिकार एक मौलिक अधिकार है और इससे समझौता नहीं किया जा सकता।
Supreme Court orders immediate release of freelance journalist, Prashant Kanojia who was arrested by UP Police for 'defamatory video' on UP Chief Minister. pic.twitter.com/OTr47uEVSu
— ANI (@ANI) June 11, 2019
शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि ट्विटर पर प्रशांत के पोस्ट को उचित नहीं ठहराया जा सकता, लेकिन इसकी वजह से पुलिस की कार्रवाई भी उचित नहीं कही जा सकती। सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी ने दलील दी कि आरोपी को न्यायिक मजिस्ट्रेट ने न्यायिक हिरासत में भेजा है, इसलिए इस मामले में संविधान के अनुच्छेद-32 के तहत दायर याचिका पर सुनवाई नहीं की जानी चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि आरोपी को जमानत पर रिहाई के लिए निचली अदालत या हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए था, लेकिन न्यायमूर्ति बनर्जी ने कहा कि शीर्ष अदालत न्याय के लिए संविधान के अनुच्छेद-142 के तहत प्रदत्त अधिकारों के दायरे में कोई भी आदेश जारी कर सकती है। उन्होंने कहा, “संविधान के तहत स्वतंत्रता को अक्षुण्ण रखा गया है और जब भी कोई अनुचित कार्रवाई होगी यह अदालत अपने अधिकार के इस्तेमाल से पीछे नहीं रहेगी।”
किस आधार पर धारा 505 लगाई गई?
न्यायमूर्ति बनर्जी ने कहा, “हमने ट्वीट देखे हैं। इस तरह के ट्वीट नहीं किए जाने चाहिए थे, लेकिन क्या इस मामले में गिरफ्तारी जरूरी थी।” न्यायमूर्ति रस्तोगी ने एएसजी से पूछा कि आखिर किस आधार पर भारतीय दंड संहिता की धारा 505 लगाई गई? न्यायमूर्ति बनर्जी ने कहा कि आरोपी को 22 जून तक न्यायिक हिरासत में भेजने का न्यायिक मजिस्ट्रेट का आदेश अनुचित था।
उन्होंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा, “22 जून तक? आरोपी को 11 दिन के लिए न्यायिक हिरासत? क्या यह हत्या का आरोप है?” अदालत ने कहा कि प्रशांत को जमानत पर तत्काल रिहा किया जाए, हालांकि उसने स्पष्ट किया कि सरकार कानून के दायरे में आरोपी के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है।
योगी के खिलाफ पोस्ट के बाद हुई थी गिरफ्तारी
गौरतलब है कि प्रशांत कनौजिया पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ एक आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप है। सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में पत्रकार प्रशांत कनौजिया को उत्तर प्रदेश पुलिस ने शनिवार को उनके दिल्ली स्थित घर से गिरफ्तार कर लिया था। इसके विरोध में राजधानी दिल्ली देश के कई राज्यों में पत्रकारों ने विरोध प्रदर्शन किया था।
कनौजिया ने कथित रूप से ट्विटर और फेसबुक पर एक वीडियो साझा किया था, जिसमें मुख्यमंत्री कार्यालय के बाहर विभिन्न मीडिया संस्थाओं के संवाददाताओं के समक्ष एक महिला यह बोलते हुये दिखाई दे रही है कि उसने आदित्यनाथ के पास विवाह का प्रस्ताव भेजा है। इस संबंध में कनौजिया के खिलाफ हजरतगंज थाने में दर्ज प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि आरोपी ने मुख्यमंत्री के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां कीं और उनकी छवि धूमिल करने का प्रयास किया।
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि पत्रकार के आवास पर आठ जून को सादी वर्दी में आए लोग उसे अपने साथ ले गए। याचिका के अनुसार सात जून को लखनऊ में हजरतगंज थाने में पुलिस अधिकारियों ने कनौजिया के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 500 (आपराधिक मानहानि) और सूचना प्रौद्योगिकी कानून की धारा 66 के तहत प्राथमिकी दर्ज की। ये दोनों ही अपराध जमानती हैं।