बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) आगामी लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की कुल 80 लोकसभा सीटों में से 38-38 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगी। इन दोनों पार्टियों ने राज्य की दो सीटें छोटी पार्टियों के लिए छोडी हैं जबकि अमेठी और रायबरेली की दो सीटें कांग्रेस पार्टी के लिए छोड़ने का फैसला किया है। बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शनिवार (12 जनवरी) को राजधानी लखनऊ के एक होटल में आयोजित संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में यह घोषणा की।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को कहा कि हम इस बात से चिंतित नहीं है यूपी में सपा-बसपा के गठबंधन में कांग्रेस की उपेक्षा हुई है। राहुल ने कहा, उन्होंने उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा ने फैसला लिया है और हमें इस मामले में अपना फैसला लेना है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पास उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए काफी बड़े प्रस्ताव हैं। मैं बसपा और समाजवादी पार्टी के नेताओं का काफी सम्मान करता हूं। उनके पास यह अधिकार है कि वे क्या करना चाहते हैं। वहीं यह हमारे ऊपर है कि हम कांग्रेस पार्टी को उत्तर प्रदेश में मजबूत बनाएं।
कांग्रेस अध्यक्ष ने दुबई में एक प्रेस वार्ता में कहा कि हम यूपी में अपनी पूरी क्षमता के साथ लड़ेंगे। राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस कई राज्यों में अलग-अलग दलों के साथ गठबंधन कर रही है। पर उत्तर प्रदेश में बीजेपी को हराने के लिए माया और अखिलेश के साथ आने से हम चिंतित नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में दोनों नेताओं ने कांग्रेस के खिलाफ भी बोला है, लेकिन कोई बात नहीं। कांग्रेस की अपनी विचारधारा है. वह यूपी में अपनी विचारधारा फैलाएगी।
मायावती ने कहा कि अमेठी और रायबरेली की सीटें कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के लिए छोड़ी गई हैं, क्योंकि कहीं ऐसा न हो जाए कि बीजेपी के लोग उन्हें (राहुल और सोनिया को) अमेठी और रायबरेली में ही उलझा दें। बता दें कि बसपा और सपा ने 1993 में आपस में मिलकर सरकार बनाई थी और एक बार फिर बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने के लिए बसपा और सपा एक हुए हैं।