देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और मोदी सरकार के बीच पिछले कुछ दिनों से घमासान जारी है। यहां तक की यह मामला देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई है। खबरों की मानें तो अब केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के बीच तनातनी की खबर है। रिपोर्ट के मुताबिक आरबीआई के गवर्नर ऊर्जित पटेल और सरकार में नीतिगत मुद्दों पर पर्याप्त मतभेद हैं।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार और आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल के बीच लगातार तनाव की स्थिति बन रही है। आरबीआई के काम में सरकार की दखलअंदाजी और नीतिगत मुद्दों को लेकर मतभेद की खबर है। आरबीआई और सरकार के तनाव की खबरों पर अब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है।
राहुल गांधी ने सोमवार (29 अक्टूबर) को कहा कि यह देखना सुखद है कि आखिरकार भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल केंद्रीय बैंक को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बचा रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को संस्थाओं पर कब्जा नहीं करने देगा।
उर्जित पटेल और मोदी सरकार के बीच टकराव की खबरों के बाद राहुल गांधी ने कहा कि गवर्नर के आरबीआई के बचाव में आने में कोई विशेष देरी नहीं हुई है। कांग्रेस अध्यक्ष ने ट्वीट किया, ‘यह अच्छा है कि आखिरकार पटेल आरबीआई को ‘मिस्टर 56’ से बचा रहे हैं। कभी नहीं से विलंब बेहतर। भारत बीजेपी-आरएसएस को हमारी संस्थाओं पर कब्जा नहीं करने देगा।’
Nice that Mr Patel is finally defending the #RBI from Mr 56. Better late then never. India will never allow the BJP/ RSS to capture our institutions.https://t.co/pdpIPRJvFs
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) October 29, 2018
दरअसल, अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक 2018 के शुरुआती महीनों में सरकार और आरबीआई की दूरियां बढ़ी हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सरकार और आरबीआई के बीच संवादहीनता की स्थिति उत्पन्न होती जा रही है। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने हाल ही में सरकार के हस्तक्षेप की ओर इशारा किया था। विरल ने कहा था कि आरबीआई की स्वायत्तता पर चोट किसी के हक में नहीं होगी। विरल अचार्य ने आरबीआई की स्वायत्तता को लेकर चिंता जाहिर की थी।
अखबार के मुताबिक अगले साल सितंबर में उर्जित पटेल के तीन साल का कार्यकाल पूरा हो रहा है। लेकिन पटेल के सेवा विस्तार की बात तो दूर की है उनके बाकी के कार्यकाल पर भी सवाल उठ रहे हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि केवल 2018 में ही कम से कम आधे दर्जन नीतिगत मसलों पर मतभेद उभरकर सामने आए। अखबार के मुताबिक उर्जित से मोदी सरकार की नाराजगी ब्याज दरों में कटौती नहीं किए जाने को लेकर भी रही है।