कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पर तंज कसते हुए एक बार फिर से कहा कि यह “सूट बूट की सरकार” है और पूंजीपतियों के हितों को सुरक्षित करने में लगी हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार सिर्फ अपने उद्योगपति मित्रों को लाभ पहुंचाने के लिए व्यवस्थित तरीके से तथा धीरे-धीरे काम कर रही है। उसका मकसद सिर्फ पूंजीपतियों के हित साधने और उनके फायदे के लिए काम करना है।

राहुल गांधी ने मंगलवार को बैंकिंग सेक्टर में कारोबारियों के दखल की सिफारिश को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने पहले कुछ बड़ी कंपनियों का कर्ज माफ किया और अब उन्हें ही बैंक खोलने की अनुमति दे रही है, जिसके चलते लोगों की बचत सीधे इनके बैंकों में जाएगी।
राहुल गांधी गांधी ने ट्वीट किया, “सरकार जिस तरह से काम कर रही है वह क्रोनोलॉजी समझिए: पहले कुछ बड़ी कंपनियों का कर्ज माफ किया। फिर कंपनियों के बड़े स्तर पर टैक्स में छूट दी। अब इन्हीं कंपनियों द्वारा स्थापित बैंकों में जनता की कमाई सीधे जमा करने की तैयारी जर रही है सूट बूट की सरकार।”
Chronology samajhiye:
First, karz maafi for few big companies.
Next, huge tax cuts for companies.
Now, give people's savings directly to banks set up by these same companies. #SuitBootkiSarkar pic.twitter.com/DjK2mya4EZ— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 24, 2020
इसके साथ ही उन्होंने एक खबर को पोस्ट की है जिसमें रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन तथा प्रसिद्ध अर्थशास्त्री विरल आचार्य ने भारतीय कारपोरेट घरानों को बैंक स्थापित करने की सिफारिश संबंधी खबर को गलत आइडिया बताया है।
राहुल के इस ट्वीट पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। थरूर ने कहा कि यह एक अहम बिंदु है, कांग्रेस को आर्थिक सुधारवादी बने रहना चाहिए, वहीं विकासवादी दिशा के रास्ते पर भी बने रहना चाहिए (क्योंकि आखिरकार ग्रोथ से ही सरकार को अपने सामाजिक न्याय के कार्यक्रमों में सहायता के लिए राजस्व मिलता है), क्रोनी कैपिटलिज्म का विरोध होना ही चाहिए।
This is an important point. While @INCIndia must remain economic reformists &maintain a genuinely pro-growth orientation (after all, it is only with growth that the government can earn the revenues to support its social justice programs), crony capitalism should be opposed. https://t.co/df85zPKLGq
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) November 24, 2020
बता दें कि, पिछले हफ्ते रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के बनाए गए एक एक आंतरिक कार्य समूह (आईडब्ल्यूजी) ने कई सुझाव दिए थे। इन सुझावों में यह सिफारिश भी शामिल है कि बैंकिंग विनियमन अधिनियम में आवश्यक संशोधन करके बड़े कॉरपोरेट घरानों को बैंक शुरू करने का लाइसेंस दिया जा सकता है। (इंपुट: भाषा के साथ)