कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ब्रिटिश राज से की मोदी सरकार की तुलना, कहा- हम लड़ेंगे

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लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस में आत्ममंथन का दौर जारी है। इस बीच संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की अध्यक्ष सोनिया गांधी को शनिवार (1 जून) को कांग्रेस संसदीय दल का नेता चुना गया। इससे पहले भी सोनिया यह भूमिका निभा रही थीं। इस बैठक में सभी की नजरें कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर थी, जिन्होंने लोकसभा चुनावों में हार के बाद इस्तीफे की पेशकश की थी।

इस्तीफे की पेशकश के बाद राहुल पहली बार कांग्रेस की किसी बैठक में शामिल हुए और सार्वजनिक तौर पर अपनी चुप्पी तोड़ी। कांग्रेस की संसदीय दल की बैठक को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने केंद्र की मोदी सरकार की तुलना ब्रिटिश राज से की। राहुल गांधी ने पार्टी के सांसदों से कहा कि पार्टी के कार्यकर्ता जिस तरह के हालात का सामना कर रहे हैं, वैसा ब्रिटिश राज में हुआ करता था, जब इसे किसी संस्थान का सहयोग नहीं था, लेकिन लड़ी और जीती, अब वैसा ही फिर होने जा रहा है।

लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस संसदीय दल की पहली बैठक को संबांधित करते हुए उन्होंने कहा कि जो फैसला आया है, उसने आत्मावलोकन, आगे देखने, कोशिश करने और यह विचार करने का मौका दिया है कि क्या गलत हुआ और पार्टी को कैसे फिर से जवान करना है। राहुल ने कहा, “मुझे कोई संदेह नहीं है कि कांग्रेस पार्टी फिर से जवान होने जा रही है।” कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि लोकसभा चुनाव जीतने वाले पार्टी के 52 सांसदों ने विपरीत परिस्थितियों का सामना किया है, सभी संस्थान उनके खिलाफ थे, ऐसे हालात में जीते हैं।

राहुल ने भाजपा का नाम लिए बगैर उसे निशाने पर लेते हुए कहा कि लोग संसद में पार्टी का विरोध कर रहे हैं। अपनी लड़ाई में नफरत और गुस्से का इस्तेमाल कर रहे हैं और इन प्रवृत्तियों से कांग्रेस लड़ सकती है। उन्होंने कहा, “देश का कोई संस्थान आपको सहयोग नहीं देने जा रही है। यह वैसा ही है, जैसा ब्रिटिश राज के दौरान होता था। हम फिर भी जीते थे और हम फिर से वही करने जा रहे हैं।”

BJP से हर इंच पर लड़ेंगे

उन्होंने कहा, “इस समय जो लोग जीतकर आए हैं, उन्हें यह समझने की जरूरत है कि वे सही तरीके से लड़े. आप इस देश की आजादी के बाद के इतिहास में शायद पहली बार इस तरह लड़े। जो लोग चुनाव लड़े, वे एक पार्टी के खिलाफ ही नहीं लड़े, बल्कि इस देश में मौजूद हर एक संस्थान से लड़े।” राहुल ने कहा, “कोई ऐसा संस्थान नहीं है जो आप से न लड़ा हो और आपको लोकसभा में आने से रोकने का प्रयास न किया हो। आप उन सभी संस्थानों से लड़े और आपको लोकसभा में पहुंचने के लिए अपना रास्ता बनाने को मजबूर किया गया। ऐसे में आपको खुद पर गर्व करना चाहिए।”

उन्होंने कहा, “पिछली बार जब हम 45 सदस्य थे, मैंने महसूस किया था कि यह सचमुच कठिन काम है। मैंने महसूस किया था कि भाजपा 282 है और हम 45 हैं। हम 45 का साथ लेकर क्या करने जा रहे हैं? लेकिन मैं यह जरूर कहना चाहूंगा कि बहुत जल्द, कुछ ही हफ्तों में मैंने महसूस किया कि ये 45 कांग्रेस सदस्य भाजपा के 282 सदस्यों से मोर्चा लेने के लिए काफी हैं।” कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, “हम 52 सदस्य हैं और मैं आपको गारंटी देता हूं कि यह मायने नहीं रखेगा कि कौन-कौन से संस्थान इन 52 सदस्यों के खिलाफ हैं। ये सभी भाजपा से हर इंच पर लड़ने जा रहे हैं। साथ ही राज्यसभा के हमारे सदस्य भी लड़ेंगे।”

गत 25 मई को कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में पार्टी की हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफे की पेशकश करने के बाद गांधी पहली बार पार्टी की किसी बैठक में शामिल हुए हैं। हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए गांधी ने इस्तीफे की पेशकश की थी, हालांकि सीडब्ल्यूसी ने प्रस्ताव पारित कर इसे सर्वसम्मति से खारिज कर दिया था और पार्टी में आमूलचूल बदलाव के लिए उन्हें अधिकृत किया। (इनपुट- आईएएनएस के साथ)

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