एक जनवरी को पुणे के पास स्थित भीमा-कोरेगांव में दलित समाज के शौर्य दिवस पर भड़की जातीय हिंसा के चलते आज (3 दिसंबर) पूरे महाराष्ट्र में बंद का ऐलान किया गया है। भीमराव आंबेडकर के पोते प्रकाश अंबेडकर ने हिंसा रोकने में सरकार की विफलता के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए आज महाराष्ट्र बंद का आह्वान किया है। बता दें कि भीमा-कोरेगांव युद्ध के शौर्य दिवस के आयोजन को लेकर हुई हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई।अंबेडकर ने कहा कि 250 से अधिक दलित संगठनों का इस बंद को समर्थन है। महाराष्ट्र बंद का समर्थन महाराष्ट्र लोकतांत्रिक गठबंधन, वामपंथी लोकतांत्रिक गठबंधन, जातिमुक्त आंदोलन परिषद और एल्गार परिषद में शामिल 250 संगठनों के मोर्चे और संभाजी ब्रिगेड ने किया है। बंद को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। कई इलाकों में एहतियातन धारा 144 लगा दी गई है। महाराष्ट्र बंद होने से राज्य की 40 हजार बसें नहीं चलेंगी और पुणे हाईवे भी बंद रहेगा।
Activist and grandson of BR Ambedkar, Prakash Ambedkar gave a call for Maharashtra bandh today: Visuals from Chembur #BhimaKoregaonViolence pic.twitter.com/MUBpKgTVX7
— ANI (@ANI) January 3, 2018
जिग्नेश-उमर के खिलाफ शिकायत दर्ज
महाराष्ट्र में दलित और मराठा समुदाय के बीच 200 साल पुराने युद्ध को लेकर भड़की जातीय हिंसा में जिग्नेश मेवाणी और उमर खालिद के खिलाफ शिकायत दर्ज हो गई है। दोनों के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने के आरोप में शिकायत दर्ज कराई गई है, जिसके बाद हिंसा शुरू हुई।
गुजरात के निर्दलीय विधायक और दलित नेता जिग्नेश मेवाणी के साथ ही जेएनयू के छात्र उमर खालिद के खिलाफ पुणे के डेक्कन पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज हुई है। युद्ध की 200वीं बरसी की पूर्व संध्या पर भी रविवार (31 दिसंबर) शाम को एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में हाल में गुजरात विधानसभा के लिए निर्वाचित जिग्नेश मेवानी भी उपस्थित थे।
Complaint against Jignesh Mevani & Umar Khalid received at Pune's Deccan Police Station, complainant alleges they made provocative statements that led to tension b/w two communities. (File Pics) pic.twitter.com/qaZOej3iX1
— ANI (@ANI) January 2, 2018
इस कार्यक्रम में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के पोते प्रकाश अंबेडकर, जेएनयू देशविरोधी नारे मामले से चर्चित हुए छात्रनेता उमर खालिद, हैदराबाद यूनिवर्सिटी में खुदकुशी करने वाले दलित छात्र रोहित वेमुला की मां राधिका वेमुला शामिल हुई। इस बीच, मेवाणी ने मंगलवार को ट्वीट कर लोगों से शांति और राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने की अपील की।
महाराष्ट्र के कई शहरों में फैली हिंसा की आग
महाराष्ट्र के पुणो में सोमवार को भीमा-कोरेगांव युद्ध की 200वीं सालगिरह पर हुई हिंसा की आग मंगलवार को राज्य के कई हिस्सों में फैल गई। मुंबई, औरंगाबाद और अहमदनगर सहित तमाम शहरों में दलित संगठनों ने उग्र प्रदर्शन किया।अधिकारियों ने बताया कि सोमवार को पुणो में हुई हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। इसको लेकर दलित संगठनों का विरोध प्रदर्शन मंगलवार को राज्य के विभिन्न हिस्सों में फैल गया।
सबसे अधिक बवाल मुंबई में हुआ, जहां प्रदर्शनकारियों ने सड़क और रेलमार्ग को बाधित कर दिया। करीब 160 बसों में तोड़फोड़ की गई। महानगर में जगह-जगह पत्थरबाजी हुई और बसों के शीशे तोड़ दिए गए। पुलिस और पत्रकारों के साथ मारपीट भी की गई। पुलिस के पीआरओ सचिन पाटील ने बताया कि 100 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया है।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दिए न्यायिक जांच के आदेश
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पुणे में हुई हिंसा की न्यायिक जांच कराने के आदेश दिया है। इसके साथ ही हिंसा में मारे गए युवक के परिजन को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया है। फडणवीस के मुताबिक मामले की पूरी जांच बॉम्बे हाईकोर्ट के जज करेंगे।
क्या है पूरा मामला?
हिंसा की शुरुआत पुणे के कोरेगांव-भीमा से सोमवार (1 जनवरी) को तब शुरू हुई, जब कुछ दलित संगठनों ने 1 जनवरी 1818 में यहां पर ब्रिटिश सेना और पेशवा के बीच हुए युद्ध की 200वीं वर्षगांठ मनाने जुटे। भीमा-कोरेगांव युद्ध के शौर्य दिवस के आयोजन को लेकर हुई हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई। दरअसल कोरेगांव भीमा में 1 जनवरी 1818 को पेशवा बाजीराव पर ब्रिटिश सैनिकों की जीत की 200वीं सालगिरह मनाई जा रही थी।
इतिहासकारों के मुताबिक 1 जनवरी 1818 को भीमा-कोरेगांव में अंग्रेजों की सेना ने पेशवा बाजीराव द्वितीय की 28,000 सैनिकों को हराया था। दलित नेता इस ब्रिटिश जीत का जश्न मनाते हैं। दलित नेता ब्रिटिश फौज की इस जीत का जश्न इसलिए मनाते हैं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि जीतने वाली ईस्ट इंडिया कंपनी से जुड़ी टुकड़ी में ज्यादातर महार समुदाय के लोग थे, जिन्हें अछूत माना जाता था। इसे कोरेगांव की लड़ाई भी कहा जाता है। दलित समुदाय इस युद्ध को ब्रह्माणवादी सत्ता के खिलाफ जंग मानता है।
एक जनवरी को पुणे में कुछ दक्षिणपंथी समूहों ने इस ‘ब्रिटिश जीत’ का जश्न मनाए जाने का विरोध किया था। हिंसा तब शुरू हुई जब एक स्थानीय समूह और भीड़ के कुछ सदस्यों के बीच स्मारक की ओर जाने के दौरान किसी मुद्दे पर बहस हुई। भीमा कोरेगांव की सुरक्षा के लिए तैनात एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि, ‘‘बहस के बाद पथराव शुरू हुआ। हिंसा के दौरान कुछ वाहनों और पास में स्थित एक मकान को क्षति पहुंचाई गई।’’