मोदी के नए मंत्रिमंडल में शामिल मंत्री प्रताप चंद्र सारंगी के खिलाफ दर्ज हैं दंगा, धमकी, वसूली जैसे कई गंभीर मामले

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नए मंत्रिमंडल ने गुरुवार (30 मई) की शाम को शपथ ली। भव्य समारोह में पीएम मोदी व उनके मंत्रिमंडल के 57 सदस्यों को पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई गई। मंत्रिमंडल में शामिल एक चेहरा मीडिया और सोशल मीडिया को काफी आकर्षित कर रही है, वो हैं प्रताप चंद्र सारंगी। उन्होंने ओडिशा के बालासोर से भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीता है और अब वह मोदी सरकार के दो मंत्रालयों में केंद्रीय राज्यमंत्री हैं।

प्रताप चंद्र सारंगी

प्रताप चंद्र सारंगी ने लोकसभा चुनाव के दौरान अपने क्षेत्र में साइकिल और ऑटो रिक्शे में घूम-घूमकर प्रचार किया था, जिसकी कुछ तस्वीरें अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहीं है। सारंगी की पहचान कुर्ता पायजामा, सफेद लंबी दाढ़ी, सिर पर पके हुए सफेद बाल, साइकिल, एक झोला है। सारंगी के पास पक्का मकान नहीं हैं और वह झोपड़ी में ही रहते है।

उन्होंने ओडिशा की राजनीति के दो सबसे अमीर राजनेताओं के खिलाफ चुनाव लड़ा था। बीजद के बालासोर के पूर्व सांसद रवीन्द्र कुमार जेना, जिन्होंने 57 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति घोषित की थी। ओडिशा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष निरंजन पटनायक के बेटे नबज्योति पटनायक, जिन्होंने अपनी संपत्ति 1 billion से अधिक घोषित की थी। दूसरी ओर सारंगी के चुनावी हलफनामे में कहा गया है कि उनके पास 10.18 लाख रुपये की संपत्ति है।

64 वर्षीय भाजपा नेता प्रताप चंद्र सारंगी को मोदी कैबिनेट का सबसे गरीब मंत्री कहा जा रहा है। वे अपनी सादगी के लिए जाने जाते हैं। सोशल मीडिया पर कई सारे लोग और कई वरिष्ठ पत्रकार भी उनकी जीवनशैली, रहन-सहन और सादगी के लिए उनकी सराहना कर रहे हैं। इतना ही नहीं शपथ ग्रहण के बाद से ही सारंगी सोशल मीडिया पर ‘ओडिशा के मोदी’ के नाम से वायरल हो रहे हैं।

शपथ ग्रहण के बाद से ही मोदी सरकार में केंद्रीय राज्यमंत्री प्रताप चंद्र सारंगी का नाम आपराधिक मामलों में जोड़ा जाने लगा है। सारंगी के खिलाफ आपराधिक मामलों के करीब 10 मामले दर्ज हैं। उनके ख़िलाफ़ दंगा करने, धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच घृणा को बढ़ावा देने, आपराधिक धमकी, जबरन वसूली, आगजनी, हमला और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप शामिल हैं।

मार्च 2002 की एक घटना में, बजरंग दल सहित हिंदू दक्षिणपंथी समूहों द्वारा उड़ीसा विधानसभा पर हमला करने के आरोप में उन्हें 67 लोगों के साथ गिरफ्तार किया गया था। जब यह घटना हुई थी उस समय सारंगी आरएसएस से जुड़े उग्र हिंदुत्ववादी संगठन बजरंग दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। दिलचस्प बात यह है कि जब सारंगी को राज्य विधानसभा भवन पर हमला करने के लिए गिरफ्तार किया गया था, तब राज्य में भाजपा-बीजेडी गठबंधन की सरकार थी।

जनवरी 1999 में जब सारंगी ओडिशा में बजरंग दल के प्रमुख थे, तब एक ऑस्ट्रेलियाई मिशनरी ग्राहम स्टेंस और उनके फिलिप (10) और टिमोथी (7) वर्ष की उम्र के दो बेटों को बजरंग दल से जुड़े एक समूह द्वारा जिंदा जला दिया गया था। ग्राहम स्टेंस और उनके बेटे क्योंझर के मनोहरपुर गांव में एक स्टेशन वैगन में सो रहे थे, जब इस वैगन को भीड़ ने आग लगा दी थी।

इन हत्याओं के लिए बजरंग दल को दोषी ठहराया गया था। हालांकि इस केस की जांच के दौरान इस संगठन का नाम सामने नहीं आया। सारंगी से भी इस मामले में पूछताछ की गई तो उन्होंने इसमें शामिल होने से इनकार किया था।

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