ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित हिंदी के प्रसिद्ध कवि कुंवर नारायण सिंह का बुधवार(15 नवंबर) को अपने घर में निधन हो गया, कुंवर नारायण 90 साल के थे।
न्यूज़ एजेंसी भाषा की ख़बर के मुताबिक, पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि कुंवर नारायण का आज सुबह निधन हुआ। गत चार जुलाई को मस्तिष्काघात के बाद वह कोमा में चले गये थे। उसके कारण उन्हें बीच बीच में काफी समय अस्पताल में भी भर्ती रखा गया था। उनका निधन आज उनके घर पर ही हुआ।
कुंवर नारायण सिंह मूलरूप से उत्तर प्रदेश के फैजाबाद के रहने वाले थे, कुंवर पिछले 51 साल से साहित्य से जुड़े थे।उन्होंने राजधानी दिल्ली के सीआर पार्क में बुधवार को अंतिम सांसे लीं, वह सीआर पार्क में उनकी पत्नी और बेटे के साथ रहते थे। ख़बरों के मुताबिक, बताया जा रहा है कि पिछले कई महीनों से उनकी तबीयत खराब चल रही थी।
कुंवर नारायण का जन्म 9 सितंबर 1927 को उत्तर प्रदेश के फैजाबाद में हुआ था। कुंवर नारायण ने लखनऊ यूनिवर्सिटी से इंग्लिश लिटरेचर में पोस्ट ग्रैजुएशन किया था। पढ़ाई के बाद वो परिवार के बिजनेस से जुड़ गए लेकिन ज्यादा समय तक उनका मन इसमें नहीं लगा। वो सत्यजीत रे, आचार्य नरेंद्र देव से काफी प्रभावित हुए और लेखनी में हाथ आजमाया।
उन्होंने अपनी पहली किताब साल 1956 में ‘चक्रव्यूह’ लिखी थी। उन्होंने अपने जीवन में कविता, कहानिया, निबंध, कला और सिनेमा, सभी पर लिखा। इन रचनाओं के लिए कुंवर नारायण सिंह को कई सम्मान भी मिले हैं।
साल 1995 में उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। वहीं 2005 में उन्हें साहित्य के सर्वोच्च सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनके साहित्य में योगदान के लिए भारत सरकार ने 2009 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया था।