प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की जनता को 34वें संस्करण में ‘मन की बात’ कार्यक्रम के जरिए एक बार फिर रविवार(30 जुलाई) को संबोधित कर रहे हैं। इस बार ‘मन की बात’ की शुरुआत देश के कई राज्यों में आए बाढ़ को लेकर किए हैं। पीएम मोदी ने कहा कि पर्यावरण में बदलाव आने से उसका प्रभाव दिख रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें बाढ़ पीड़ितों को मदद पहुंचा रही हैं।उन्होंने कहा कि लोग सेवा भाव से आगे आ रहे हैं। भारत सरकार की ओर से सेना, एनडीआरएफ के जवान सेवा में लगे हैं। बाढ़ में किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि मौसम को जो पूर्वानुमान मिल रहा है वह सही साबित हो रहा है। हमें भी अपने कार्यकलाप मौसम के अनुसार करें तो नुकसान से बचा जा सकता है।
GST पर की बात
इसके साथ ही पीएम मोदी ने जीएसटी को लेकर भी बात किए हैं। उन्होंने कहा कि जीएसटी को लेकर लोगों में उत्साह है। उन्होंने कहा कि जीएसटी को लागू हुए एक महीना हो रहा है। इससे फायदा हुआ है। चीजें सस्ती हुई हैं। पीएम ने कहा कि उत्तर पूर्व से लोगों ने कहा कि अब काम आसान हो गया है।
पीएम ने कहा कि जीएसटी ने अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इसने अर्थव्यवस्था को सहारा दिया है। दुनिया की यूनिवर्सिटी के लिए एक विषय बनेगा। इतने बड़े देश में सफलतापूर्वक लागू करना और आगे बढ़ना एक सफलता है। उन्होंने कहा कि इससे दुकानदार और उपभोक्ता में विश्वास बढ़ा है। जीएसटी से ईमानदारी की संस्कृति को बढ़ावा मिलता है, यह सामाजिक अभियान है।
पढ़ें, ‘मन की बात’ की मुख्य बातें:-
- हमारी बेटियां देश का नाम रोशन कर रही हैं। पिछले दिनों महिला क्रिकेट टीम की बेटियों से मिलने का मौका मिला।
- उनपर बोझ था कि विश्व कप नहीं जीत पाईं। पहली बार ऐसा हुआ कि जब बेटियां फाइनल नहीं जीतीं तो देशवासियों ने इसे अपने कंधों पर ले लिया।
- मैंने कहा कि आप मैच जीतीं या न जीतीं लेकिन देशवासियों को जीत लिया है।
- इस बार मैंने सोचा है कि मैं लाल किले का भाषण छोटा करूं।
- आइये अपने उत्सवों को गरीबों के साथ जोड़ें, उनकी अर्थव्यवस्था के साथ जोड़ें।
- सार्वजनिक गणेश उत्सव का एक महत्व है। यह वर्ष सार्वजनिक गणेशोत्सव का 125वां वर्ष है, इसे लोकमान्य तिलक जी ने शुरू किया था।
- राखी के साथ लाखों लोगों का रोजगार जुड़ा होता है।
- त्योहारों से रिश्तों में मिठास आती है, व्यक्ति से समाज को जोड़ते हैं।
- ऑनलाइन माध्यम से युवा विकास के साथ जुड़ सकते हैं।
- 2017 से 2022 संकल्प सिद्धि के वर्ष हैं। 2017 को संकल्प वर्ष के रूप में मनाएं तो 2022 तक सफलता दिखेगी।
- पांच साल में निर्णायक परिणाम दिख सकते हैं। गंदगी भारत छोड़ो, गरीबी भारत छोड़ो, जातिवाद भारत छोड़ो, संप्रदायवाद भारत छोड़ो से जुड़ना है।
- 1942 से 1947 तक पांच साल निर्णायक थे। 1947 से कई सरकारे आईं।
- 1857 से शुरू हुआ स्वतंत्रता संग्राम 1942 तक किसी न किसी रूप में चलता रहा।