वर्ष 2014 में अच्छे दिन लाने के वादे के साथ केंद्र की सत्ता में आई मोदी सरकार अब आम आदमी की राह में खुद ही मुसीबत पैदा कर रही है। पेट्रोल और डीजल की कीमतें तीन साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 2014 के मुकाबले आधी रह गई हैं। लेकिन इसका फायदा आम आदमी को नहीं मिल पा रहा है। बुधवार(13 सितंबर) को मुंबई में पेट्रोल 79.48 रु. और दिल्ली में 70.38 रु. प्रति लीटर बिका। इससे पहले एक अगस्त 2014 को मुंबई में पेट्रोल की कीमत 80.60 रुपए और दिल्ली में 72.51 रुपए रही थी। इस साल 16 जून से पेट्रोल-डीजल के दाम रोज तय हो रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, तब से पेट्रोल 7.48 प्रतिशत और डीजल 7.76 फीसदी महंगे हो चुके हैं।
लोगों का कहना है कि तीन साल में आखिर जब 46 फीसदी तक कच्चा तेल सस्ता हो चुका है तो इसका फायदा जनता को क्यों नहीं मिल रहा है? सरकार ने नवंबर 2014 और जनवरी 2016 के दौरान 9 बार पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क बढ़ाया।
वैश्विक स्तर पर ईंधन के दाम में नरमी को देखते हुए उत्पाद शुल्क बढ़ाए गए। कुल मिलाकर इस दौरान पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 11.77 रुपये प्रति लीटर तथा डीजल पर 13.47 रुपये की वृद्धि की गई। शुल्क वृद्धि से सरकार का 2016-17 में उत्पाद शुल्क संग्रह बढ़कर 2,42,000 करोड़ रुपये हो गया।
सरकार नहीं देगी दखल
हैरानी की बात यह है कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार बढ़ोत्तरी के बावजूद मोदी सरकार का कहना है कि वह इसमें दखल नहीं देगी। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बुधवार (13 सितंबर) को पेट्रोल-डीजल के दाम की दैनिक समीक्षा (डेली डाइनैमिक प्राइसिंग) रोकने के लिए सरकार के हस्तक्षेप से इनकार कर दिया।
उन्होंने कहा कि समय आ गया है कि जीएसटी परिषद पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार करे।पेट्रोलियम मंत्री ने 3 जुलाई से कीमतों में वृद्धि के प्रभाव को हल्का करने के लिए टैक्स में कटौती को लेकर भी कोई प्रतिबद्धता नहीं जताई।
कीमतों में वृद्धि को लेकर आलोचना को गलत बताते देते हुए प्रधान ने कहा कि 16 जून को नई व्यवस्था के बाद एक पखवाड़े तक कीमतों में आई कमी की अनदेखी की गई और केवल अस्थायी तौर पर मूल्य वृद्धि को जोर-शोर से उठाया जा रहा है।
यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार इस वृद्धि के प्रभाव को कम करने के लिए उत्पाद शुल्क में कटौती करेगा, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि इस बारे में वित्त मंत्रालय को निर्णय करना है, लेकिन एक चीज बिल्कुल साफ है। हमें उपभोक्ताओं की आकांक्षाओं के साथ विकास जरूरतों के बीच संतुलन रखना है।
PM का पुराना ट्वीट हुआ वायरल
इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वर्ष 2012 का एक पुराना ट्वीट वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने पेट्रोल के दाम बढ़ने पर यूपीए सरकार पर निशाना साधा था। इसके अलावा पीएम मोदी का साल 2015 में दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान का एक भाषण भी वायरल हो रहा है जिसमें उन्होंने 1 फरवरी को एक रैली में कहा था ‘क्या डीजल पेट्रोल के दाम कम हुए हैं कि नहीं…क्या आपकी जेब में पैसा बचने लगा है की नहीं…अब विरोध कहते हैं कि मोदी नसीबवाला है…तो अगर मोदी का नसीब जनता के काम आता है तो इससे बढ़िया नसीब की क्या बात हो सकती है…आपको नसीब वाला चाहिए या बदनसीब? सोशल मीडिया पर लोगों ने निकाली भड़ास:-
मितरों, आजकल पेट्रोल डालकर आत्महत्या करने के मामले बढते जा रहे थे, इसलिए हमने में पेट्रोल के दाम बढ़ दिए हैं।
— Shilpi Singh (@ShilpiSinghINC) September 14, 2017
https://twitter.com/TheYogeshThakur/status/907975960724692993
पेट्रोल मूल्यबृद्धि के खिलाफ भोपाल मप्र में पूरी कैबिनेट साईकल पर(चित्र पुराना है) pic.twitter.com/kf40Le4cUd
— Dr.ANAND RAI (@anandrai177) September 13, 2017
मोदी राज में पेट्रोल पहले से महंगा जरूर हुआ है लेकिन ऐवरेज पहले से बहुत अधिक देता है और इंजन को भी नुक्सान नहीं पहुचाता -भक्त?#BJPFuelLoot
— Dr.Meraj Husain (@drmerajhusain) September 14, 2017
https://twitter.com/ZindagiDillagi/status/908207379614883840
So these must be the good days.. Finally showing up in crazy ways?Success of BJP led NDA??? #अच्छे_दिन_का_महंगा_पेट्रोल pic.twitter.com/sucGGAQice
— Divya NV (@divya_nailwal) September 13, 2017
Hello @SrBachchan , wanna troll govt now? Petrol is above 80 (like never before.)#अच्छे_दिन_का_महँगा_पेट्रोल pic.twitter.com/CkqAVMT7qu
— Kshitij (@kshitijwrites_) September 13, 2017
नेता देश के लिए मुफ्त कि रोटिया तोड रहे है..
और तुम.. गद्दारो क्या राष्ट्रहित मे 80 रुपए का एक लीटर पेट्रोल भी नही ले सकते….???— Dr. Mashoor Gulati (@Drgullati_) September 12, 2017
https://twitter.com/fardeen18092/status/907640461241864192