सेना पर पथराव और उपद्रव करने वालों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने भी कहा है कि इस तरह का बर्ताव करने वालों के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया जाना चाहिए। आर्मी चीफ बिपिन रावत की कश्मीर में पथराव करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई संबंधी बयान का पर्रिकर ने समर्थन करते हुए कहा कि सेना हर कश्मीरी को आतंकवादी नहीं मानती है, लेकिन अगर कोई आर्मी के खिलाफ कुछ करे, तो लोकल अधिकारी को फ्री हैंड होता है।
पर्रिकर ने एक निजी चैनल से बातचीत में कहा कि सेना के ऑपरेशन में स्थानीय लेवल पर किसी ने रुकावट डालने की कोशिश की तो, उस समय कमांडिंग ऑफिसर को निर्णय लेने का पूरा अधिकार होता है। पर्रिकर ने कहा कि सेना हर कश्मीरी को आतंकियों का समर्थक नहीं मानती है, लेकिन जो आतकियों के साथ है, वह आतंकी ही है। इससे पहले केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने भी रावत के बयान का बचाव किया था। उन्होंने कहा था, ‘पत्थरबाजों और राष्ट्रीय हित के खिलाफ जो भी काम करेगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए क्योंकि राष्ट्रीय हित सबसे ऊपर है।’
कश्मीर घाटी में दो अलग-अलग मुठभेड़ों में एक मेजर समेत सेना के चार जवानों शहीद होने के एक दिन बाद जनरल रावत का यह बयान सामने आया था। मंगलवार को हुई मुठभेड़ में चार आतंकवादी भी मारे गए थे। पत्थरबाजों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी वाले सेना प्रमुख के बयान को कुछ राजनीतिक दलों ने अलोचना की थी। कांग्रेस ने इसे ‘ज्यादती’, तो कश्मीर में विपक्षी नैशनल कॉन्फ्रेंस इसे ‘दुखद’ करार दिया था।
बता दें कि पर्रिकर और रिजिजू की यह टिप्पणी जनरल रावत के बयान की पृष्ठभूमि में आई है। रावत ने कहा था कि कश्मीर घाटी में स्थानीय लोगों के शत्रुतापूर्ण आचरण के कारण लोग अधिक हताहत होते हैं और सुरक्षा बलों की आतंकवाद रोधी अभियानों के दौरान हमला करने वालों के साथ ‘राष्ट्र विरोधी’ के तौर पर बर्ताव होगा और उनके खिलाफ ‘सख्त कार्रवाई’ होगी।