पुस्तक विमोचन के एक कार्यक्रम में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने विवादित बयान दिया हैं। उन्होंने कहा कि वो निजी तौर पर मानते हैं कि भारत को परमाणु हथियारों के पहले इस्तेमाल नहीं करने संबंधी नीति से अपने को नहीं ‘बांधना’ चाहिए।
‘देश में बहुत सारे लोग पहले परमाणु हथियार इस्तेमाल नहीं करने संबंधी नीति के बारे में कहते हैं लेकिन मुझे इस मामले में अपने आपको क्यों बांधना चाहिए? मैं तो कहता हूं कि हम एक जिम्मेदार परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र हैं और मैं इसका गैर जिम्मेदाराना ढंग से इस्तेनमाल नहीं करुंगा। ये मेरी सोच है।’ इस बयान पर विवाद खड़ा हो गया है। चारों तरफ उनकी आलोचना शुरू हो गयी है।
पार्रिकर के बयान के बाद सबसे पहले रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने साफ किया कि नीति में कोई पर्रिवर्तन नहीं किया गया है। ये उनकी निजी राय है, रक्षा सम्बन्धी नीतियों में किसी तरह का फेरबदल नहीं किया गया है।
कार्यक्रम में बोलते हुए पर्रिकर ने ये भी कहा कि, पहले हर चार-पांच दिन में उनको पड़ोसी देश के रक्षा मंत्री धमकी देते थे कि यदि उनको धमकाया जाएगा तो वह टैक्टिकल परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करेंगे लेकिन जिस दिन सर्जिकल स्ट्राइक हुई, उसके बाद से फिर कोई धमकी नहीं आई।
रक्षा मंत्री इसी स्वछंदता का लाभ उठाते हुए अपना बयान देते में बहुत आगे बढ़ गए इसलिए उन्होंने अपनी निजी राय में भारत को परमाणु हथियारों के पहले इस्तेमाल नहीं करने संबंधी नीति से अपने को नहीं बांधने से परेहज दिखाया।
रक्षा मंत्रालय ने तुरन्त अपने मंत्री की बात का खंडन करते हुए बताया कि ये उनके व्यक्तिगत् विचार है, इस बात से प्रभावित होकर रक्षा मंत्रालय अपनी नीति में किसी तरह का परिवर्तन नहीं करने जा रहा हैं।