एक तरफ विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मंगलवार(11 मार्च) को संसद में कुलभूषण जाधव के मुद्दे पर पाकिस्तान को ‘अंजाम भुगतने’ की चेतावनी दी, तो दूसरी तरफ पाकिस्तानी मीडिया भी खुद इस बात को मान रहा है कि अगर जाधव को फांसी दी जाती है तो इसके गंभीर दुष्परिणाम होंगे।

पाकिस्तानी मीडिया ने कहा है कि इस मामले के चलते भारत के साथ संबंधों में तनाव बढ़ेगा और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसे लेकर काफी प्रतिक्रिया देखने को मिल सकती है। कुछ पाकिस्तानी पत्रकारों ने जाधव के खिलाफ जुटाए गए सबूतों का सार्वजनिक किए जाने की भी मांग की है।
अखबार ‘द नेशन’ ने अपने पहले पन्ने पर दी गई खबर में लिखा कि ‘सोमवार को एक सैन्य अदालत ने दोनों परमाणु संपन्न देशों के बीच लंबे समय से जारी तनाव को और बढ़ाते हुए हाई प्रोफाइल भारतीय जासूस को मौत की सजा सुनाई।’ अखबार ने राजनीतिक और रक्षा विशेषज्ञ डॉ. हसन अस्करी के हवाले से लिखा है कि जाधव को फांसी देने का फैसला ‘दोनों देशों के बीच तनाव में और इजाफा करेगा।’
अस्करी ने कहा कि ‘सेना ने सख्त सजा दी है जो पाकिस्तानी कानून के मुताबिक है, लेकिन हमें यह देखना होगा कि पाकिस्तान इसके राजनीतिक और कूटनीतिक दुष्प्रभावों को झेल सकता है या नहीं।’ बता दें कि ‘द नेशन’ को भारत के मुखर आलोचक के तौर पर जाना जाता है।
अन्य अखबारों ने भी इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया है। ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने इस फैसले को ‘अभूतपूर्व’ बताते हुए कहा है कि रिपोर्ट में इस फैसले से पड़ोसी देशों के बीच कटु राजनीतिक विवाद पनपने की आशंका बढ़ गई है। उधर पाकिस्तान के प्रमुख अखबार ‘डॉन’ ने कहा कि यह फैसला ऐसे वक्त में सामने आया है जब पाकिस्तान और भारत के बीच पहले से तनाव जारी है।
अखबार ने लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) तलत मसूद के हवाले से लिखा कि ‘लंबे समय से पाकिस्तान यह साबित करने के लिये संघर्ष कर रहा है कि पाकिस्तान की अस्थिरता में भारत का हाथ है। मामले में मदद मांगने के लिये हमारे राजदूत कई देश गये लेकिन कुछ भी हाथ नहीं आया। अब हमने अपना कदम उठाया है, पर हमें भारत के जवाबी हमले के लिये तैयार रहना चाहिए।’
मसूद ने आगे कहा कि ‘हमें इस बात के लिये तैयार रहना चाहिए कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इसे लेकर प्रतिक्रिया होगी और यहां तक कि पाकिस्तान को नियंत्रण रेखा पर उल्लंघनों में इजाफा को लेकर भी तैयार रहना चाहिए।’ राजनीतिक विशेषज्ञ एयर मार्शल (रिटायर्ड) शहजाद चौधरी ने कहा कि ‘मुझे नहीं लगता कि इस फैसले के चलते भारत के साथ हमारे रिश्तों में बदलाव आएगा।’
‘जियो न्यूज’ में वरिष्ठ पत्रकार हामिद मीर ने कहा कि ‘सबसे पहले पाकिस्तान को जासूस के खिलाफ मिले सबूतों को सार्वजनिक करना चाहिए और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे साझा करना चाहिए।’ हामिद ने कहा कि ‘आखिर हर कोई पहले ही भारत की प्रतिक्रिया को लेकर क्यों बात कर रहा है?
मेरा मानना है कि भारत को सूझबूझ से काम लेना चाहिए और इस खबर पर बिल्कुल भी प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए। अगर लोगों को अजमल कसाब की फांसी याद हो तो पाकिस्तान इस पूरे मुद्दे पर खामोश रहा था। हमारा विशेषाधिकार सामान्य था, अगर कसाब के खिलाफ सबूत हैं तो उसे भारतीय कानून के मुताबिक सजा सुनायी जानी चाहिए।’
उन्होंने कहा कि ‘इसलिए भारत को सूझबूझ से काम लेना चाहिए, न कि इन खबरों पर प्रतिक्रिया देनी चाहिए और न ही जाधव को किसी नायक के तौर पर परोसना चाहिए। मीडिया को भी यही लहजा अपनाना चाहिए।’