अपने अध्यक्ष केवी थॉमस के विचारों को खारिज करते हुए संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) ने आज फैसला किया कि समिति के समक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नहीं बुलाया जाएगा। इससे पहले समिति में बीजेपी सदस्यों ने कांग्रेस नेता की उस टिप्पणी पर गहरी आपत्ति व्यक्त की जिसमें कहा गया था कि नोटबंदी के मुद्दे पर उन्हें (प्रधानमंत्री) बुलाया जा सकता है।
PAC says Ministers/PM can't be called before it either to give evidence or consultation in connection with examination of estimates/accounts
— ANI (@ANI) January 13, 2017
यह मुद्दा उस समय सुर्खियों में आ गया था जब समिति में सत्ताधारी पार्टी के सदस्यों ने इस सप्ताह के शुरु में दिए गए थॉमस के उस बयान पर गहरी आपत्ति व्यक्त की थी जिसमें उन्होंने कहा था कि नोटबंदी के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बुलाया जा सकता है।
वित्तीय समितियों और प्रधानमंत्री या मंत्रियों को बुलाने से जुडे़ विषय से संबंधित नियमों पर स्पीकर के निर्देशों का जिक्र करते हुए समिति ने एक विज्ञप्ति जारी कर कहा, ‘मंत्रियों को समिति के समक्ष लेखा से जुडे़ अनुमानों की जांच परख करने के सिलसिले में सबूत देने या विचार विमर्श करने के लिए नहीं बुलाया जा सकता। हालांकि, अध्यक्ष जब जरुरी समझे और चर्चा पूरी हो जाने पर…. मंत्री के साथ अनौपचारिक संवाद कर सकती है।’
निशिकांत दुबे, भूपेंद्र यादव और किरीट सोमैया समेत अन्य बीजेपी सदस्यों ने थॉमस के सदस्यों के बयान का मुद्दा उठाते हुए कहा था कि समिति के पास पीएम को बुलाने का अधिकार नहीं है। निशिकांत ने लोकसभा अध्यक्ष को एक पत्र भी लिखा था जिसमें कहा था कि नोटबंदी के मामले पर मोदी को समिति के सामने समन करने का थॉमस का बयान अनैतिक और संसदीय कार्यप्रणाली के खिलाफ है।