प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार (31 दिसंबर) को साल के आखिरी दिन अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में मुस्लिम महिलाओं की हज यात्रा पर बात की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अब मुस्लिम महिलाएं मेहरम के बिना (किसी पुरुष अभिभावक के बिना) भी हज के लिए जा सकेंगी। पीएम मोदी के मुताबिक अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने 70 वर्षों से चली आ रही इस परंपरा को अब खत्म कर दिया है।मोदी ने कहा कि मेहरम पर लगी पाबंदी को हटा दिया गया है। हालांकि पीएम मोदी के दावों पर ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लमीन (AIMIM) के प्रमुख व सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने मजाक उड़ाते हुए उनके दावों को खारिज कर दिया है। जिसमें मोदी ने दावा किया है कि उनकी सरकार के नयी हज यात्रा के नई नीति के तहत 45 साल की उम्र की मुस्लिम महिलाएं के बिना मेहरम एक साथ हज यात्रा पर जा सकती हैं।
ग्रेटर कश्मीर की रिपोर्ट के मुताबिक हैदराबाद के सांसद ने कहा कि सऊदी अरब में पहले से ही इस संबंध में नियम बनाए जा चुके हैं कि किसी भी देश से 45 साल से अधिक उम्र की महिलाएं बिना ‘मेहरम’ के एक संगठित समूह के साथ हज की यात्रा कर सकती हैं। उन्होंने पीएम मोदी के उन दावों को झूठा करार देते हुए खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि इसका श्रेय पीएम मोदी या भारत के विदेश मंत्रालय को नहीं दिया जा सकता।
PM को क्रेडिट लेने की आदत हो गई है
ओवैसी ने पीएम मोदी पर तंज सकते हुए कहा कि हर चीज के लिए क्रेडिट का दावा करना प्रधानमंत्री की आदत बन गई है। उन्होंने कहा कि यदि कल को सऊदी अरब में महिलाओं को ड्राइव करने की अनुमति दी जाती है, तो वे इसके लिए क्रेडिट का दावा करेंगे। सांसद ने कहा कि यदि मोदी को मुसलमान महिलाओं के लिए इतनी चिंता थी, तो उन्हें पूर्व सांसद एहसान जाफरी की विधवा जाकिया जाफरी को न्याय देना चाहिए, जो 2002 के गुजरात दंगों में मारे गए थे।
उन्होंने कहा कि अगर मोदी वास्तव में मुस्लिम महिलाओं के बारे में चिंतित हैं, तो उन्हें शिक्षा में उनके लिए 7 प्रतिशत आरक्षण देना चाहिए। बता दें कि प्रधानमंत्री ने मुस्लिम महिलाओं के लिए बिना महरम के हज पर भेजने की घोषणा करते हुए कहा कि ऐसी जितनी भी महिलाएं आएंगी, सभी को बिना लॉटरी के हज पर भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि अभी तक 1300 महिलाएं बिना महरम के जाने के लिए आवेदन कर चुकी हैं।
मोदी ने कहा कि दुनिया के कई देशों ने महरम की पाबंदी नहीं है, लेकिन भेदभाव व अन्याय की इस पाबंदी को हम आजादी के 70 साल में भी नहीं सोच पाए। उन्होंने कहा कि कुछ बातें जो दिखने में बहुत छोटी लगती हैं, लेकिन एक समाज के रूप में हमारी पहचान पर दूर-दूर तक प्रभाव डालती हैं।
किसे कहते हैं ‘मेहरम’?
जानकारों के मुताबिक इस्लाम में मेहरम का काफी महत्व है। मेहरम का जिक्र उन लोगों के लिए किया जाता है, जिनसे मुस्लिम महिला का निकाह नहीं हो सकता। किसी भी सफर में मुस्लिम महिलाओं को मेहरम के साथ जाने की इजाजत है। जैसे- पिता, भाई, बेटा, दामाद, भतीजा, धेवता और पोता। महिला अपने शौहर के साथ सफर पर जा सकती है।
ये शरई कानून सऊदी अरब हुकूमत में लागू हैं। लिहाजा बिना मेहरम या शौहर के औरत का हज का सफर नाजायज माना जाता है। इस्लाम में माना जाता है कि अगर किसी औरत को हज पर जाना हो तो वह तब तक हज पर नहीं जा सकती, जब तक उसके साथ जाने वाले किसी मेहरम या शौहर का इंतजाम ना हो जाए।
कुरआन में हज तीर्थयात्रा के संबंध में करीब 25 आयतें हैं। इसमें हज तीर्थयात्रियों के लिए कई निर्देश दिए गए हैं, हालांकि इनमें इनमें मेहरम की अनिवार्यता का जिक्र नहीं है। हालांकि सऊदी अरब जहां पवित्र काबा स्थित है, वहां महिला तीर्थयात्रियों के लिए मेहरम की अनिवार्यता है।