विपक्ष की एकता दिखाने के लिए पश्चिम बंगाल के कोलकाता में एकत्रित हुए विपक्षी दलों ने चुनाव सुधारों पर चार सदस्यीय समिति का शनिवार को गठन किया। इन दलों ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर ईवीएम से छेड़छाड़ करने के आरोप लगाए हैं। तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी ने कहा कि ईवीएम की कार्यप्रणाली के मूल्यांकन और किसी भी तरह की गड़बड़ी को रोकने के उपाय ढूंढने के अलावा यह समिति लोकसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग को चुनाव सुधारों के बारे में भी सुझाव देगी।
तृणमूल कांग्रेस द्वारा आयोजित संयुक्त विपक्ष की रैली में शामिल 14 राजनीतिक दलों के प्रमुख नेताओं के लिए चाय पार्टी की मेजबानी करने के बाद उन्होंने यह घोषणा की। ममता ने उन्होंने कहा कि समिति में अभिषेक मनु सिंघवी (कांग्रेस), अखिलेश यादव (समाजवादी पार्टी), सतीश चंद्र मिश्रा (बहुजन समाज पार्टी) और अरविंद केजरीवाल (आम आदमी पार्टी) क्रियान्वयन के लिए अपनी अनुशंसा चुनाव आयोग को देंगे और वीवीपीएटी के व्यापक इस्तेमाल के लिये दबाव बनाएंगे।
नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) अध्यक्ष फारुक अब्दुल्ला ने रैली को संबोधित करते हुए ईवीएम को ‘चोर मशीन’ बताया। उन्होंने कहा, ‘‘ईवीएम चोर मशीन है। ईमानदारी से कहें तो ऐसा है। इसका इस्तेमाल खत्म किया जाना चाहिए। कहीं भी दुनिया में इस मशीन का इस्तेमाल नहीं हो रहा।” उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों को निर्वाचन आयोग और राष्ट्रपति से संपर्क करना चाहिए जिससे ईवीएम का इस्तेमाल रोका जा सके और पारदर्शिता के लिये मत पत्रों के इस्तेमाल की पुरानी व्यवस्था को वापस लाया जा सके।
आगामी लोकसभा चुनाव में सभी विपक्षी दलों को साथ लाने की पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की कवायद के तहत शनिवार (19 जनवरी) को कोलकाता में आयोजित विशाल रैली में प्रमुख विपक्षी दलों के नेता एक मंच पर नजर आए और उन्होंने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने की हुंकार भरी। इस दौरान संयुक्त विपक्ष के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के मुद्दे पर ममता ने कहा कि विपक्षी दल एकसाथ मिलकर काम करने का वादा करते हैं और प्रधानमंत्री कौन होगा इस पर फैसला लोकसभा चुनाव के बाद होगा।
बता दें कि जनसैलाब की मौजूदगी में हुई इस रैली में पूर्व प्रधानमंत्री एवं जनता दल सेक्यूलर प्रमुख एच डी देवेगौड़ा, तीन वर्तमान मुख्यमंत्री- चंद्रबाबू नायडू (तेलुगु देशम पार्टी), एचडी कुमारस्वामी (जनता दल सेक्यूलर) और अरविंद केजरीवाल (आम आदमी पार्टी), छह पूर्व मुख्यमंत्री- अखिलेश यादव (समाजवादी पार्टी), फारुख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला (दोनों नेशनल कांफ्रेंस), बाबूलाल मरांडी (झारखंड विकास मोर्चा), हेमंत सोरेन (झारखंड मुक्ति मोर्चा) और इसी हफ्ते बीजेपी छोड़ चुके गेगांग अपांग शामिल थे।
इसके अलावा आठ पूर्व केंद्रीय मंत्री- मल्लिकार्जन खड़गे (कांग्रेस), शरद यादव (लोकतांत्रिक जनता दल), अजित सिंह (राष्ट्रीय लोक दल), शरद पवार (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी), यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी, शत्रुघ्न सिन्हा और राम जेठमलानी ने हिस्सा लिया। इनके अलावा, राजद नेता एवं बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी, बसपा सुप्रीमो मायावती के प्रतिनिधि एवं राज्यसभा सदस्य सतीश चंद्र मिश्रा, पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल और जानेमाने दलित नेता एवं गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी भी मंच पर नजर आए।