सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों की ओर से चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ मोर्चा खोले जाने के बाद सुलह की कोशिशें तेजी से चल रही हैं। न्यायाधीशों की ओर से सुप्रीम कोर्ट की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए जाने से उपजे संकट के बीच बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने सभी न्यायाधीशों के साथ मौजूदा संकट पर चर्चा के लिए सात सदस्यीय टीम का गठन किया है।
काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल जजों से मुलाकात कर रहा है। इस बीच शुक्रवार (12 जनवरी) को प्रेस कॉन्फेंस कर चीफ जस्टिस के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले चारों जजों के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के पूर्व जज भी आ गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीशों द्वारा भारत के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा को एक खुला पत्र लिखा गया है। आजाद भारत के इतिहास में शुक्रवार को पहली बार सुप्रीम कोर्ट के चार जजों द्वारा मीडिया के सामने आकर चीफ जस्टिस को लेकर किए खुलासे को लेकर पूर्व न्यायाधीशों ने चिंता व्यक्त की है।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा के नाम खुला पत्र लिखने वालों में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन जस्टिस पीबी सावंत, दिल्ली हाई कोर्ट के सेवानिवृत मुख्य न्यायाधीश जस्टिस ए. पी शाह, मद्रास हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश के चन्द्रू और बॉम्बे हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस एच सुरेश शामिल हैं।
पूर्व न्यायाधीशों द्वारा लिखे गए इस चिट्ठी में एक तरह से मौजूदा चारों जजों के सवाल को जायज ठहराया गया है। साथ ही चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को अपनी कार्यशैली में बदलाव करने का सुझाव दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के इन जजों ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि सवेंदनशील और अहम मामलों को सुनवाई के लिए जजों के पास भेजे जाने के लिए नियम बनाएं जाएं।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया से असंतुष्ट चारों न्यायधीशों की ओर से उठाए गए मुद्दे का समर्थन करते हुए पूर्व जजों ने लिखा कि बेंच बनाने और सुनवाई के लिए मुकदमों का बंटवारा करने के मुख्य न्यायाधीश के विशेषाधिकार को और ज्यादा पारदर्शी और नियमित करने की जरूरत है।
चार मौजूदा जजों के आरोपों का समर्थन करते हुए खुला पत्र लिखने वाले पूर्व जजों के कहना है कि हाल के महीनों में मुख्य न्यायाधीश अहम मुकदमें वरिष्ठ जजों की बेंच को भेजने की बजाय अपने चहेते कनिष्ठ जजों को भेजते रहे हैं। बेंच बनाने, खासकर संविधान पीठ का गठन करने में भी वरिष्ठ जजों की उपेक्षा की जाती रही है।
पत्र में चीफ चस्टिस को सलाह देते हुए कहा गया है कि मुख्य न्यायाधीश खुद इस मामले में पहल करें और भविष्य के लिए समुचित और पुख्ता न्यायिक और प्रशासनिक उपाय करें और भविष्य के लिए समुचित और पुख्ता न्यायिक और प्रशासनिक उपाय करें।
Rifat Jawaid on the revolt by Supreme Court judges
Posted by Janta Ka Reporter on Friday, 12 January 2018
CJI के खिलाफ जजों ने खोला मोर्चा
बता दें कि शुक्रवार को आजाद भारत के इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों ने मीडिया के सामने आकर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की प्रशासनिक कार्यशैली पर सवाल उठाए। अभूतपूर्व घटना में जजों ने मुख्य न्यायाधीश (सीजेआइ) दीपक मिश्र के खिलाफ सार्वजनिक मोर्चा खोल दिया। प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद चारों जजों ने एक चिट्ठी जारी की, जिसमें सीजेआई की कार्यप्रणाली पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
सीजेआई के बाद वरिष्ठता में दूसरे से पांचवें क्रम के जजों जस्टिस जे. चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एमबी लोकुर व जस्टिस कुरियन जोसेफ ने आरोप लगाया कि ‘सुप्रीम कोर्ट प्रशासन में सब कुछ ठीक नहीं है। कई चीजें हो रही है जो नहीं होनी चाहिए। यह संस्थान सुरक्षित नहीं रहा तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा।’ जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा कि हमने हाल में सीजेआइ को पत्र लिखकर अपनी बात रखी थी। शुक्रवार को भी शिकायत की, लेकिन वह नहीं माने।
इसीलिए लोकतंत्र की रक्षा के लिए मीडिया के सामने आना पड़ा। उन्होंने मीडिया को सात पेज की वह चिट्ठी भी बांटी जो सीजेआई को लिखी थी। उसमें पीठ को केस आवंटन के तरीके पर आपत्ति जताई गई है। जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया के एक मुद्दे का तो उल्लेख है, पर माना जा रहा है कि यह खींचतान लंबे अर्से से चल रही थी। शायद सीबीआई जज बीएच लोया की मौत का मुकदमा तात्कालिक कारण बना, जिस पर शुक्रवार को ही सुप्रीम कोर्ट की अन्य बेंच में सुनवाई थी।