प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ उत्तर प्रदेश की वाराणसी लोकसभा सीट से नामांकन दाखिल करने वाले सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव का नामांकन खारिज किया जा सकता है। बता दें कि, तेज बहादुर वाराणसी लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी(सपा) के टिकट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ रहें हैं।

समाचार एजेंसी भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक, जिला निर्वाचन कार्यालय ने तेज बहादुर यादव से चुनाव आयोग से अनापत्ति प्रमाणपत्र लाकर जमा करने का निर्देश दिया है। इस प्रमाणपत्र को जमा करने के लिए तेज बहादुर यादव को एक दिन का समय दिया गया है। यह प्रमाणपत्र उन्हें 1 मई को सुबह 11 बजे तक जमा करना है। प्रमाणपत्र जमा ना करने की स्थिति में उनका नामांकन निरस्त किया जा सकता है।
भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक, इस विषय में तेज बहादुर यादव का कहना है कि नामांकन के वक्त उनसे इस तरह के किसी भी प्रमाणपत्र की मांग नहीं की गई। यदि मेरे नामांकन फोरम में किसी भी तरह की कमी थी तो मुझे उसी वक्त बताना चाहिए था। मंगलवार तीन बजे जिला निर्वाचन कार्यालय द्वारा मुझसे अनापत्ति प्रमाणपत्र जमा करने के लिए बुधवार 11 बजे तक का समय दिया गया।
उन्होंने आगे कहा कि, 11 बजे तक अनापत्ति प्रमाणपत्र लाना किसी भी कीमत पर संभव नहीं है। इससे यह बात साफ दिख रही है की प्रधानमंत्री मोदी जी का निर्वाचन कार्यालय पर दबाव है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह नहीं चाहते कि मैं यहाँ से उन के खिलाफ चुनाव लड़ूँ।
गौरतलब है कि तेज बहादुर यादव ने 24 अप्रैल को पहले निर्दलीय और 29 अप्रैल को समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह पर नामांकन किया था। जिला निर्वाचन कार्यालय ने तेज बहादुर यादव को मंगलवार को नोटिस जारी करते हुए चुनाव आयोग से अनापत्ति प्रमाण पत्र जमा करने का निर्देश दिया है। यह प्रमाणपत्र उन्हें 1 मई को सुबह 11 बजे तक जमा करना है। प्रमाणपत्र जमा ना करने की स्थिति में उनका नामांकन निरस्त किया जा सकता है।
बता दें कि, 2014 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी से पीएम मोदी के खिलाफ आम आदमी पार्टी(आप) के चीफ अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस के अजय राय लड़े थे। अजय राय इस चुनाव में तीन नंबर पर रहे थे। जबकि दूसरे नंबर पर अरविंद केजरीवाल रहे थे।
बता दें कि बीएसएफ के पूर्व जवान तेज बहादुर उस समय चर्चा में आए थे जब उन्होंने जनवरी 2017 में खाने को लेकर सोशल मीडिया पर वीडियो डाला था। इस पर काफी विवाद हुआ था और पीएमओ ने मामले का संज्ञान लिया था। इसके बाद अप्रैल माह में बीएसएफ ने उनको अनुशासन हीनता का दोषी मानते हुए बर्खास्त कर दिया था। तभी से वह केंद्र सरकार के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं।