नोबेल पुरस्कार से सम्मानित भारतीय मूल के मशहूर लेखक सर विद्याधर सूरजप्रताप नायपॉल का 85 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वीएस नायपॉल ने रविवार देर रात लंदन स्थित अपने घर में आखिरी सांस ली। वीएस नायपॉल के परिजनों ने उनके निधन की पुष्टि की है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, नायपॉल के निधन पर उनकी पत्नी ने एक बयान में कहा कि उनकी सभी उपलब्धियां महान हैं और उन्होंने अपनी अंतिम सांस अपने प्रियजनों के बीच ली। उनका जीवन अद्भुत रचनात्मकताओं एवं प्रयासों से भरा था।
मशहूर लेखक और उपन्यासकार सलमान रुश्दी ने नायपॉल को अपना भाई बताते हुए उनके निधन पर शोक जताया है। उन्होंने कहा कि हालांकि जिंदगी भर राजनीति, साहित्य और जीवन को लेकर हमारे मतभेद रहे, लेकिन आज मैं बहुत दुखी हूंं।
We disagreed all our lives, about politics, about literature, and I feel as sad as if I just lost a beloved older brother. RIP Vidia. #VSNaipaul
— Salman Rushdie (@SalmanRushdie) August 12, 2018
प्रधानमंत्री मोदी ने नायपॉल को याद करते हुए ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, सर वी एस नायपॉल को उनके व्यापक कार्यों के लिए याद किया जाएगा, जिसमें इतिहास, संस्कृति, उपनिवेशवाद, राजनीति और अन्य विषय शामिल है। साहित्य की दुनिया के लिए उनका गुजरना एक बड़ा नुकसान है। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदना उनके परिवार के साथ है।
Sir VS Naipaul will be remembered for his extensive works, which covered diverse subjects ranging from history, culture, colonialism, politics and more. His passing away is a major loss to the world of literature. Condolences to his family and well wishers in this sad hour.
— Narendra Modi (@narendramodi) August 12, 2018
साहित्यकार अमिताव घोष ने ट्वीव करते हुए लिखा कि एक पुराना आर्टिकल, ये तब लिखा गया था जब वीएस नायपॉल ने नोबेल पुरस्कार जीता था।
RIP VS Naipaul. An old piece written when he won the Nobel: https://t.co/Mo8ZlX0Khi
Sanjay Subrahmanyam's 'Where does he come from?' is well worth reading: https://t.co/IvC47iozs4
— Amitav Ghosh (@GhoshAmitav) August 12, 2018
नायपॉल का जन्म 17 अगस्त 1932 में त्रिनिडाड में हुआ था, जिसके बाद वह इंग्लैंड जा कर रहने लगे। उन्होंने अपने जीवनकाल में कई विश्व प्रसिद्ध पुस्तकें लिखीं। नायपॉल का पहला उपन्यास 1951 में प्रकाशित हुआ था, जिसका नाम ‘द मिस्टिक मैसर’ था। ‘ए बेंड इन द रिवर’ और ‘अ हाउस फॉर मिस्टर बिस्वास’ उनकी चर्चित कृतियां हैं। नायपॉल को 1971 में बुकर प्राइज और 2001 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।