कर्नाटक और उत्तर प्रदेश व बिहार सहित देश के कई राज्यों में पिछले दिनों मिली हार बाद केंद्र में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अपने सहयोगियों को मनाने के लिए इन दिनों जद्दोजहद कर रही है। दरअसल, एकजुट विपक्ष के कारण मिली हार के बाद बीजेपी के सामने अब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए के अपने सहयोगियों को साथ जोड़े रखना बड़ी चुनौती है। सबसे खास बात यह है कि NDA के कई सहयोगी बदले माहौल में अब बीजेपी से सौदेबाजी के मूड में दिख रहे हैं।

बिहार में बीजेपी की सहयोगी जेडीयू ने साफ कर दिया है कि राज्य में नीतीश कुमार NDA का चेहरा होंगे और पार्टी 2019 के लोकसभा चुनावों में राज्य की 40 सीटों में से 25 पर चुनाव लड़ेगी। यही वजह है कि सहयोगी दलों की तीखे तेवरों का सामना कर रही बीजेपी डैमेज-कंट्रोल की कोशिश में जुट गई है। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह खुद एक के बाद एक सहयोगी दलो के नेताओं से खुद जाकर लगातार मुलाकात कर रहे हैं।
नीतीश कुमार ने खारिज की पीएम मोदी की योजना
इस बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मोदी सरकार को एक और बड़ा झटका दिया है। दरअसल, केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ को नीतीश कुमार ने मंगलवार को औपचारिक रूप से खारिज कर दिया। बिहार कैबिनेट द्वारा ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ को खारिज कर इसके बदले एक नई योजना को मंजूरी दी गई है। बिहार कैबिनेट ने राज्य के किसानों को फसल क्षति पर आर्थिक सहायता देने के लिए ‘बिहार राज्य फसल सहायता योजना’ को मंजूरी दी है।
बता दें कि नीतीश कुमार देश के उन गिने चुने नेताओं में से एक हैं जो पहले दिन से ही ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ का हर स्तर से विरोध कर रहे हैं। जबकि प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों के लिए फसल बीमा योजना की शुरुआत की थी, जिसे मोदी सरकार की काफी बड़ी योजना के रूप में देखा जा रहा था। लेकिन नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार की इस नीति को प्रदेश में अपनाने से इनकार कर दिया है।
सहकारी विभाग के प्रमुख सचिव अतुल प्रसाद ने संवाददाताओं को बताया कि यह नई योजना ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ की जगह आई है और यह खरीफ फसलों के समय में 2018 से लागू किया जाएगा। उन्होंने किसानों को स्पष्ट किया कि यह आर्थिक सहायता योजना है न कि बीमा योजना। यह दोनों तरह के किसानों (रैयत और गैर रैयत) के लिए है। बता दें कि बिहार में फिलहाल कृषि मंत्री बीजेपी के प्रेम कुमार हैं।
नीतीश की फसल बीमा योजना में क्या है खास?
प्रभात खबर के मुताबिक, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को उनके सरकारी आवास पर हुई इस खास कैबिनेट की बैठक में इस योजना समेत 39 मुद्दों पर मुहर लगी। इसमें लिए गए फैसले के बारे में कैबिनेट सचिव अरुण कुमार सिंह ने कहा कि बिहार देश में पहला राज्य है, जहां इस तरह की योजना शुरू की गई है। इस योजना के लागू होने के बाद से पहले से चल रही सभी बीमा योजना बंद हो जाएगी या उनकी जगह यह नई योजना ले लेगी।
योजना के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए सहकारिता विभाग के मौजूदा प्रधान सचिव अतुल प्रसाद और पूर्व प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा ने संयुक्त रूप से कहा कि इस योजना की शुरुआत वर्तमान वर्ष 2018 के खरीफ मौसम से ही हो जाएगी। इसका लाभ लेने के लिए किसान को किसी तरह का प्रिमियम और निबंधन शुल्क देने की जरूरत नहीं पड़ेगी।सिर्फ किसानों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा और इसमें किसी बीमा कंपनी की कोई संलिप्तता नहीं होगी।
सचिव के अनुसार नीतीश सरकार अपने स्तर से ही सीधा किसानों को इसका लाभ देगी। यह योजना किसानों के लिए पहले से चल रही तमाम योजनाओं मसलन डीजल अनुदान, कई तरह की सब्सिडी योजना समेत अन्य योजनाओं के अतिरिक्त होगी। डीजल अनुदान या अन्य योजनाओं का लाभ लेने वाले किसान भी इसका लाभ उठा सकते हैं। इस योजना में सरकार को करीब 300 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे। इस योजना का लाभ रैयत या गैर-रैयत दोनों तरह के किसान उठा सकते हैं।
लाभ लेने के लिए रैयत किसानों को अपनी जमीन का कागज प्रस्तुत करना होगा। जबकि, गैर-रैयत किसानों को एक स्व-घोषणा पत्र देना होगा, जो किसान सलाहकार या वार्ड सदस्य से अनुमोदित होगा। कृषि विभाग की अन्य अनुदान योजनाओं के तहत छह लाख से ज्यादा किसान ऑनलाइन रजिस्टर्ड हैं। फसल क्षति के रुपये सीधे आधार से जुड़े किसानों के बैंक खाते में ट्रांसफर किए जाएंगे। क्षति आकलन के तुरंत बाद सहायता राशि किसानों को दे दी जाएगी।
नीतीश ने पीएम मोदी की फसल योजना को क्यों किया खारिज?
दरअसल, नीतीश सरकार का दावा है कि वर्तमान में केंद्र की फसल योजना का मुख्य लाभ किसानों से ज्यादा बीमा कंपनियों को होता है। केंद्र की योजना में जहां राज्य और केंद्र को 49-49 प्रतिशत राशि का वहन करना होती है वहीं बाकी की दो प्रतिशत राशि किसानों से ली जाती है। लेकिन बिहार सरकार की नई योजना में किसानों को एक भी पैसा प्रीमियम के नाम पर नहीं देना होगा। इसके तहत वास्तविक उपज में 20 प्रतिशत तक की कमी होने पर प्रति हेक्टेयर 7500 रुपये की राशि दी जाएगी।
इसके अलावा दो हेक्टेयर तक 15,000 रुपये तक दिए जाएंगे। इसके अलावा वास्तविक उपज में 20 प्रतिशत से अधिक कमी आने पर 10,000 रुपये प्रति हेक्टेयर और अधिकतम 20,000 तक दिए जाएंगे। साथ ही नीतीश सरकार का आरोप है कि बीमा कंपनी से सहायता राशि मिलने में काफी समय लगता है। बिहार सरकार की नई योजना इस वर्ष की खरीफ फसल के सीजन से लागू हो जाएगी।