रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के पूर्व गवर्नर ओर नोटबंदी पर मोदी सरकार की अलोचना करने वाले रघुराम राजन ने राष्ट्रवाद पर छिड़ी बहस पर रविवार को अपना पक्ष रखा है। उन्होंने कहा कि ज्यादा लोकलुभावन राष्ट्रवाद आर्थिक विकास के लिए हानिकारक है। आमतौर पर यह बहुसंख्यक कम्युनिटी में भेदभाव को लेकर उन्हें उत्तेजित करता है। उन्होंने कहा कि लोकलुभावन राष्ट्रवाद का मिथ्या दुनियाभर में है और भारत इससे बचा हुआ नहीं है।

राजन ने कहा, लोकलुभावन राष्ट्रवाद आर्थिक विकास को डैमेज करता है। ये अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक है क्योंकि ये बांटनेवाला है। यह भेदभाव को लेकर बहुसंख्यक कम्युनिटी में सनसनी फैलाता है, यह भारत सहित पूरी दुनिया में है। लोग शिकायत की इस भावना का फायदा उठाते हैं, देश में आरक्षण का मुद्दा इसका एक उदाहरण है।
उन्होंने कहा, बहुसंख्यक कम्युनिटी की शिकायतों को बढ़ा-चढ़ा कर नहीं कहा जा सकता, क्योंकि अल्पसंख्यक काफी समय से भेदभाव का सामना कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि, राष्ट्रवाद देशभक्ति नहीं है, क्योंकि ये बांटता है जो कि खतरनाक है।
फिर भी उन लोगों को खारिज करना गलत है जो इन चीजों पर आवाज बुलंद करते हैं, उन्हें खारिज करने की ज़रूरत है। बता दें कि, उन्होंने यह बातें दिल्ली में चल रहे टाइम्स लिट फेस्ट में रविवार को कहीं।
राजनीति में कदम रखने को लेकर उन्होंने कहा कि जब मैं आरबीआइ में था तो लोग मुझे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में भेजने को बेताब थे। जब मैं फिर प्रोफेसर बना, लोग मुझे कहीं और देखने के लिए बेताब हैं। मैं एक प्रोफेसर के रूप में बहुत खुश हूं, अपने काम को मैं पसंद करता हूं।
यहां उन्होंने यह भी बताया कि वो अपनी दूसरी किताब पर काम कर रहे हैं। इससे पहले उनकी किताब ‘आई डू वॉट आई डू’ सितंबर में जारी हुई थी जिसमें अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों के बारे में लिखा गया।
दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी(AAP) की ओर से राज्यसभा भेजे जाने के प्रस्ताव पर राजन ने कहा कि, ‘मुझे क्या पेशकश की गई, इस पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। उन्होंने इतना जरूर कहा कि, राजनीति के मुद्दे पर मेरी पत्नी ने साफ तौर पर कह रखा है नहीं।
बता दें कि, कुछ दिनों पहले ख़बरे आई थी कि दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी ने राजन को दिल्ली से राज्यसभा भेजने का प्रस्ताव दिया था, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया था।