रियो ओलंपिक के दौरान, पहलवान नरसिंह यादव पर चार साल का प्रतिबंध लगाने के बाद खेल पंचाट (कैस) ने फैसला दिया है कि नरसिंह अपने खाने पीने से छेड़छाड़ के दावे के संदर्भ में कोई भी ‘वास्तविक साक्ष्य’ नहीं दे पाया है। साथ ही ‘कैस’ का कहना है कि संभावनाओं के आधार पर लगता है कि उसने जानबूझकर, एक से अधिक मौके पर प्रतिबंधित पदार्थ टैबलेट के रूप में लिया था।
साक्ष्य पर निर्भर रहते हुए, खेल पंचाट ने अपने पूर्ण फैसले में बताया है कि नरसिंह का डोप अपराध केवल एक बार प्रतिबंधित पदार्थ के सेवन के कारण नहीं है। उन्होंने बताया कि 25 जून को हुए पहले परीक्षण के नतीजे में पदार्थ का अंश काफी अधिक था, जो कि मिथेनडाइनोन की एक या दो टैबलेट खाने पर ही हो सकता है न कि पानी के साथ पाउडर का मिश्रण करने पर।
फैसले में कहा गया ‘पैनल को खिलाड़ी के पारिस्थितिक साक्ष्यों को वाडा के वैज्ञानिक साक्ष्यों के खिलाफ तोलकर फैसला करना था कि वह खिलाड़ी के इस दावे से संतुष्ट है या नहीं कि उसने जानबूझकर प्रतिबंधित पदार्थ नहीं लिया। पैनल मानता है कि प्रोफेसर अयोटे के विशेषज्ञ साक्ष्य को शायद अन्य विशेषज्ञों से स्वीकृत कराने की जरूरत पड़े। हालांकि पैनल के पास वैज्ञानिक आंकड़ों और उनके विशेषज्ञ बयान पर सवाल उठाने का कोई कारण नहीं है।’
नरसिंह ने कहा था कि डोपिंग का यह अपराध छेड़छाड़ के कारण हुआ है जो जितेश (जूनियर पहलवान) ने 23 या 24 जून को उनके एनर्जी ड्रिंक में प्रतिबंधित पदार्थ मिलाकर की थी। पैनल ने इस बात को भी ध्यान में रखा कि नाडा के डोपिंग रोधी अनुशासनात्मक पैनल ने तीन लोगों पासवान, राहुल कुमार और पंकज कुमार के बयान सुने थे जिन्होंने पुष्टि की थी कि उन्होंने जितेश को पांच जून को नरसिंह के खाने में कुछ पाउडर मिलाते हुए देखा था।