नोटबंदी और उसके बाद फैली अनिश्चितता से पल्ला झाड़ने के लिए एक प्रस्ताव संभवतः कल कैबिनेट के समक्ष पेश किया जाएगा। सरकार में सूत्रों के अनुसार, अध्यादेश यह सुनिश्चित करेगा कि भविष्य में केंद्र सरकार और रिज़र्व बैंक को याचिकाओं के माध्यम से नोटबंदी से जुड़े किसी भी कानूनी मामले में भागीदार न बनाया जाए।
किसी भी दोहराव या परेशानी से बचने के लिए एक प्रस्ताव जोड़े जाने की योजना है जिससे एक खास श्रेणी के लोग 31 दिसम्बर और अगले साल की 31 मार्च के बीच रिज़र्व बैंक की शाखाओं में पैसा जमा करा पाएंगे। इस श्रेणी में सैन्य बलों से जुड़े लोग, विदेश में रहे आम नागरिक शामिल होंगे।
मीडिया रिपोट्स के मुताबिक, आम नागरिकों को ये साबित करना होगा कि यह पैसा उनकी जायज आमदनी का हिस्सा है और वे अब तक इसे क्यों नहीं करा पाए। सरकार एक सीमा से ज्यादा पैसा रखने वालों पर जुर्माने पर भी विचार कर रही है लेकिन इसकी पुष्टि नहीं की जा सकती।
जनता पार्टी की सरकार ने भी 1978 में 5000 रूपए और 10000 रुपये की नोटबंदी के बाद ऐसा ही अध्यादेश लाई थी। सरकार ने बीते 8 नवम्बर को नोटबंदी की घोषणा के बाद स्पष्ट किया कि आम लोग बैंकों और डाकघरों में पैसे बदलवा और जमा करा सकते है। इस सुविधा के वापस लिए जाने के बाद लोगों के पैसे जमा करने के लिए शुक्रवार तक का ही समय है।