कोलकाता पुलिस के प्रमुख राजीव कुमार से सारदा चिटफंड घोटाले में केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआई द्वारा पूछताछ करने की कोशिशों के खिलाफ रविवार (3 फरवरी) शाम से ही धरने पर बैठीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपना धरना समाप्त कर दिया है। धरने को तीसरे दिन खत्म करते हुए ममता ने कहा कि वह ऐसा विपक्षी की अहम पार्टियों के नेताओं के साथ सलाह-मशविरे और सुप्रीम कोर्ट से अनुकूल आदेश आने के बाद कर रही हैं।

बता दें कि वह रविवार रात से ही एस्प्लेनेड इलाके के मेट्रो चैनल में धरने पर बैठी थीं। तेदेपा के चंद्रबाबू नायडू, द्रमुक की कनिमोझी और राजद के तेजस्वी यादव जैसे विपक्षी नेताओं ने धरना स्थल का दौरा किया था। सुप्रीम कोर्ट ने आज दिन में कोलकाता के पुलिस आयुक्त राजीव कुमार को निर्देश दिया कि वह सीबीआई के समक्ष पेश हों और शारदा चिट फंड घोटाले से संबंधित मामलों की जांच में सहयोग दें।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन-सदस्यीय पीठ ने हालांकि स्पष्ट किया कि कुमार के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई फिलहाल नहीं की जाएगी, न ही उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा। ममता बनर्जी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को नैतिक जीत करार दिया था।
क्या है मामला?
दरअसल, सीबीआई की एक टीम कोलकाता के पुलिस आयुक्त राजीव कुमार से चिटफंड घोटाले के सिलसिले में पूछताछ करने के लिए रविवार को उनके आवास पर गई थी, लेकिन टीम को उनसे मिलने की अनुमति नहीं दी गई और उन्हें जीप में भरकर थाने ले जाया गया। टीम को थोड़े समय के लिए हिरासत में भी रखा गया। घटना के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी रविवार की रात साढ़े आठ बजे से धरने पर बैठी हुई थीं।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बीजेपी अमित शाह पर बंगाल में तख्तापलट करने का प्रयास करने के आरोप लगाए। वहीं सीबीआई के मुताबिक, आईपीएस अधिकारी राजीव कुमार ने चिटफंड घोटाले की जांच में पश्चिम बंगाल पुलिस के विशेष जांच दल का नेतृत्व किया था और उनसे गायब दस्तावेजों तथा फाइलों के बारे में पूछताछ करने की जरूरत है।