महाराष्ट्र में मीट व्यापारी हो रहे है शोषण का शिकार

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एक साल पहले तक महाराष्ट्र के बारामती के रहने वाले मीट व्यापारी कासिम कुरेशी की ये दिली इच्छा थी कि साठ साल की उम्र में उनके रिटायरमेंट के बाद उनका बीस साल का बेटा हसन उनके मीट व्यवसाय को संभाले। लेकिन आज कासिम कुरेशी की सोच एकदम जुदा है। कुरेशी कहते है कि कुछ भी करूंगा पर अपने लड़के को कसाई नहीं बनाऊँगा।

Qassam Quershi

दैनिक अख़बार द इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक रोजी रोटी के लिए मीट की ढुलाई का काम करने वाले कुरेशी आज कथित अपराधी है और खाली मार्च और अप्रैल महीने में ही इन पर पुणे और बारामती के अलग अलग थानो में तीन केस दर्ज हो चुके है।

कासम कुरेशी पर ये केस पुणे के गौरक्षा कार्यकर्ताओ ने टेम्पो में गैर क़ानूनी मीट ढोने के आरोप में दर्ज कराये है। हर मामले में कुरेशी का टेम्पो रोका गया, मीट जब्त कर लिया गया और महाराष्ट्र जीव संरक्षण (संशोधन) एक्ट के सेक्शन 5A और 5D के तहत दूसरे राज्यों से गौ मास लाकर महाराष्ट्र में ढुलाई के आरोप में मुकदमे दर्ज किए गए। कुरेशी के लाइसन्स के साथ सक्षम अधिकारी द्वारा भेंस के मीट की पुष्टि करने वाली रसीद दिखाने के बावजूद उनके खिलाफ़ गौ मास की ढुलाई के तहत केस दर्ज करे गए। कासम के मुताबिक इन मुकदमों की वजह से वो तकरीबन बीस लाख रुपए गवा चुके है।

गौरतलब है कि मार्च 2015 में महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार ने गौ रक्षा के लिए दस हज़ार रुपए के जुर्माने के अलावा पाँच साल तक की जेल का सख्त क़ानून पास किया। बॉम्बे सब अर्बन बीफ़ डीलर एसोसियेशन ने इस मुद्दे पर बॉम्बे हाइ कोर्ट में पीआईएल भी दाख़िल की है। एसोसियेशन के सदस्य सादिक़ कुरेशी के मुताबिक जब भी मीट या पशु जब्त किए जाते है तो पशुओ को गौशाला और मीट को फोरेंसिक लैब में जांच के लिए कसाई जिनमे अधिकतर मुसलमान है, के खर्च पर ही भेजा जाता है। लेकिन जहा से मीट या पशु आते है उनमे से ज़्यादातर किसान जो की हिन्दू है उनपर किसी तरह की कोई क़ानूनी कारवाई नहीं होती।

सादिक़ कुरेशी के मुताबिक कसाई को जमानत के लिए वकील और जब्त वाहन को छुड़ाने में लाखो रुपए खर्च करने पड़ते है। कानूनन ये साबित हो जाने के बावजूद भी कि पशु ढुलाई में कोई गैर क़ानूनी काम नहीं हुआ, जब कसाई गौशाला में अपने पशु वापस लेने जाते है तो उन्हे वहाँ से कुछ नहीं मिलता। पुलिस भी इनकी कोई मदद नहीं करती।

व्यापारी कासम कुरेशी के मुताबिक आरटीआई के जरिये उन्हे आज तक इस सवाल का जवाब नहीं मिला कि लाइसन्स के साथ सक्षम अधिकारी द्वारा भेंस के मीट की पुष्टि करने वाली रसीद दिखाने के बावजूद उनके खिलाफ़ गौ मास की ढुलाई के तहत केस किस आधार पर दर्ज किए गए। इन तमाम अनसुलझे मुद्दो पर बॉम्बे सब अर्बन बीफ़ डीलर एसोसियेशन अब सूप्रीम कोर्ट जाने कि तैयारी में है।

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