रांची की CBI अदालत ने चारा घोटाले से जुड़े एवं देवघर कोषागार से 89 लाख, 27 हजार रुपये की अवैध निकासी के मुकदमे में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) प्रमुख लालू प्रसाद यादव को साढे़ तीन साल की सजा सुनाई है और साथ ही 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। बता दें कि, लालू सहित सभी दोषियों को विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरीए सजा सुनाई जाएगी।
#FodderScam: Lalu Prasad Yadav sentenced to 3.5 years in jail and Rs 5 lakh fine by Ranchi Court pic.twitter.com/wi0Cibm93R
— ANI (@ANI) January 6, 2018
आपको बता दें कि अदालत ने 950 करोड़ रुपये के चारा घोटाले से जुड़े देवघर कोषागार से 89 लाख, 27 हजार रुपये की अवैध निकासी के मामले में फैसला सुनाया है। कोर्ट ने इस मामले में 22 आरोपियों में से लालू यादव समेत 16 लोगों को दोषी ठहराया था, जबकि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा समेत 6 आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया।
इस मामले में दोषी ठहराये जाने के बाद लालू समेत सभी 16 आरोपियों को हिरासत में लेकर बिरसा मुंडा जेल भेज दिया गया था। अदालत ने लालू को धोखाधड़ी करने, साजिश रचने और भ्रष्टाचार के आरोप में भादवि की धारा 420, 120 बी और पीसी एक्ट की धारा 13 (2) के तहत दोषी पाया था।
लालू को पहले ही पांच साल की हो चुकी है सजा
गौरतलब है कि इससे पहले चाईबासा कोषागार से 37 करोड़, सत्तर लाख रुपये अवैध ढंग से निकासी करने के चारा घोटाले के एक अन्य मामले में इन सभी को सजा हो चुकी है। तीन अक्तूबर 2013 को रांची स्थित सीबीआई के विशेष न्यायाधीश प्रवास कुमार सिंह की अदालत ने लालू को पांच साल की सुनाई थी।
साथ ही अदालत ने 25 लाख का जुर्माना भी अदा करने को कहा था। चाईबासा तब अविभाजित बिहार का हिस्सा था। हालांकि उस मामले में लालू प्रसाद फिलहाल जमानत पर हैं। लेकिन सजायाफ्ता होने के बाद वे संसद की सदस्यता गंवा बैठे और चुनाव लड़ने के भी अयोग्य हो गए।
38 लोग थे आरोपी
वर्ष 1990 से 1994 के बीच देवघर कोषागार से 89 लाख, 27 हजार रुपये की फर्जीवाड़ा करके अवैध ढंग से पशु चारे के नाम पर निकासी के इस मामले में कुल 38 लोग आरोपी थे, जिनके खिलाफ सीबीआई ने 27 अक्तूबर, 1997 को मुकदमा संख्या आरसी/64 ए/1996 दर्ज किया था।
सभी 38 आरोपियों में से जहां 11 की मौत हो चुकी है, वहीं तीन सीबीआई के गवाह बन गये जबकि दो ने अपना गुनाह कुबूल कर लिया था, जिसके बाद उन्हें 2006-07 में ही सजा सुना दी गई थी। इसके बाद 22 आरोपी बच गए थे, जिनके खिलाफ 23 दिसंबर को अदालत अपना फैसला सुनाया।
क्या है चारा घोटाला?
बता दें कि चारा घोटाला मामला सरकार के खजाने से 900 करोड़ रुपए की फर्जीवाड़ा का है। इसमें पशुओं के लिए चारा, दवाओं आदि के लिए सरकारी खजाने से पैसा निकाला गया था। चारा घोटाला पहली बार 1996 में सामने आया। उस वक्त लालू यादव की सरकार थी। इस घोटाले में 950 करोड़ रुपए के गबन का आरोप है। पशुपालन विभाग के अधिकारियों और राजनेताओं की मिलीभगत से इस घोटाले को अंजाम दिया गया था।