हमारे देश में स्वास्थ्य सेवाओं का क्या हाल है यह तो सब जानते है। भारत के अलग-अगल राज्यों से हर रोज कोई न कोई ऐसी तस्वीर सामने आ ही जाती है, जिसे देखकर हमें शर्मसार होना पड़ता है। जिसका ताजा मामला राजस्थान के बारां से सामने आया है, जो मानवता को शर्मसार कर देने वाली है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्थान में शाहबाद के सरकारी अस्पताल में सही समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण एक आदिवासी बच्चे की मौत हो गई। इतना ही नहीं बच्चे का शव ले जाने के लिए डॉक्टरों ने एंबुलेंस तक का इंतजाम नहीं किया, जिस कारण मजबूर परिवार वालों को 6 किलोमीटर तक बच्चे के शव को कंधे पर रखकर पैदल ले जाना पड़ा।
ख़बर के मुताबिक, यह घटना बारां जिले के शाहबाद उपखंड का है। जहा सही समय पर इलाज नहीं मिलने से एक मासूम बच्चे की सांसें थम गई। बताया जा रहा है कि, जुकाम-खांसी के बाद बच्चे की तबीयत बिगड़ गई थी। जिसके बाद बच्चे को उपचार के लिए शाहाबाद चिकित्सालय लाया गया।
जल्दी में उन्होंने पर्ची बनवाई लेकिन तब तक चिकित्सालय का समय पूरा होने के कारण चिकित्सक उठ गए। वह चिकित्सक के सरकारी आवास पर भी पहुंची, लेकिन उन्होंने बच्चे को देखने के बजाय शाम को पांच बजे आने या बच्चे को बारां ले जाने के लिए कह दिया। वह लोग कुछ देर अस्पताल में रैफर स्लिप लेने के लिए बैठे रहे ताकि उपचार मिल जाए या एम्बुलेंस से बारां भेज दें, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।
कुछ देर इंतजार के बाद वे बच्चे को बारां ले जाने को लेकर पैसों का इंतजाम करने के लिए घर के लिए रवाना हुए, लेकिन रास्ते में बच्चे मौत हो गई। इसके बाद वे बच्चे के शव को गोद में उठाकर पूरा परिवार पैदल ही गांव की ओर चल पड़ा। वहीं दूसरी और इस मामले को लेकर जिला कलेक्टर ने गम्भीरता से लिया है और दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए मामले में कार्रवाई के आदेश दिए है।
आपको बता दें कि, यह कोई पहली बार नहीं है कि ऐसा मामला किसी राज्य से सामने आया हो। देश के हर राज्य से आए दिन ऐसी कोई न कोई ख़बर मीडिया की सुर्खियों में बनी रहती है। लेकिन इन सब के बीच सोचने वाली बात यह है कि, आखिर कब तक देश में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर हमें ऐसे ही शर्मसार होना पड़ेगा।
अभी हाल ही में यूपी के कौशांबी से ऐसा ही एक मामला सामने आया था। जहां पर एक शख्स को अपनी भांजी की लाश को मजबूरन कंधे पर लादकर साइकिल से करीब 10 किलोमीटर तक का सफर तय करना पड़ा। मामला सिराथू तहसील के मलाकसद्दी गांव का था।