कर्नाटक में सियासी नाटक गुरुवार रात को भी जारी रहा। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक विधानसभा में ही पूरी रात जमे रहे। इस बीच कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला ने मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी से विधानसभा में शुक्रवार अपराह्न डेढ़ बजे से पहले बहुमत साबित करने को कहा। उन्होंने कहा कि 15 सत्तारूढ़ विधायकों के इस्तीफे और दो निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने से ”प्रथमदृष्या लगता है कि सदन में कुमारस्वामी ने विश्वास खो दिया है।

सत्तारूढ़ कांग्रेस-जद(से) के एक वर्ग के बागी होने की पृष्ठभूमि में कुमारस्वामी ने विश्वास प्रस्ताव पेश किया था। राज्यपाल ने सदन में इस प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान हंगामे के बाद कार्यवाही स्थगित होने को ध्यान में रखते हुए समय सीमा दी।इसके बाद भारतीय जनता पार्टी के विधायक विधानसभा के भीतर ही रात भर के लिए धरने पर बैठ गए और उन्होंने सरकार से राज्यपाल के पत्र का जवाब देने और फ्लोर टेस्ट कराने की मांग की थी। भाजपा फ्लोर टेस्ट की मांग पर अड़ी हुई है।
Bengaluru: K'taka BJP legislators go for morning walk. They were on an over night 'dharna' at Vidhana Soudha over their demand of floor test. K'taka Guv Vajubhai Vala has written to CM HD Kumaraswamy, asking him to prove majority of the govt on floor of the House by 1:30 pm today pic.twitter.com/t84qOtKjYM
— ANI (@ANI) July 19, 2019
कर्नाटक विधानसभा में मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी द्वारा पेश किए गए विश्वास मत के प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही को शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया। कांग्रेस सदस्यों द्वारा भाजपा के खिलाफ लगातार की जा रही नारेबाजी के बाद विधानसभा उपाध्यक्ष कृष्णा रेड्डी द्वारा सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री कुमारस्वामी की तरफ से अपनी बात रखी जानी अभी बाकी ही थी।
मुश्किल में कुमारस्वामी सरकार
सत्ताधारी गठबंधन के 16 विधायकों के इस्तीफा देने के बाद राज्य में सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने एक वाक्य का प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि सदन उनके नेतृत्व वाली 14 महीने पुरानी सरकार में विश्वास व्यक्त करता है। सरगर्मी भरे माहौल में गुरुवार को शुरू हुई सदन की कार्यवाही में 20 विधायक नहीं पहुंचे। इनमें 17 सत्तारूढ़ गठबंधन के हैं। बागी विधायकों में से 12 फिलहाल मुंबई के एक होटल में ठहरे हुए हैं।
कांग्रेस-जद(एस) सरकार को समर्थन दे रहे बसपा विधायक महेश भी सदन में नहीं आए। उनके बारे में खबरें आ रही हैं कि वह सदन से गैर-हाजिर इसलिए हैं क्योंकि उन्हें विश्वास मत पर कोई रुख तय करने को लेकर पार्टी प्रमुख मायावती से कोई निर्देश नहीं मिला है। शक्ति परीक्षण से एक दिन पहले गठबंधन को थोड़ी राहत देते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक रामालिंगा रेड्डी ने कहा कि वह कांग्रेस के साथ रहेंगे और विश्वास मत पर मतदान के दौरान सरकार का समर्थन करेंगे।
#WATCH Karnataka: BJP state president BS Yeddyurappa sleeps at the Vidhana Soudha in Bengaluru. BJP legislators of the state are on an over night 'dharna' at the Assembly over their demand of floor test. pic.twitter.com/e4z6ypzJPz
— ANI (@ANI) July 18, 2019
कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धरमैया ने कहा कि मुंबई में ठहरे 15 बागी विधायक सुप्रीम कोर्ट के आदेश से प्रभावित हैं कि वे विधानसभा की कार्यवाही से दूर रह सकते हैं और विधानसभाध्यक्ष के आर रमेश से कहा कि वे कांग्रेस विधायक दल के नेता के तौर पर जारी व्हिप के भविष्य को लेकर कोई फैसला दें। शक्ति परीक्षण ऐसे समय में हो रहा है जब सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि कांग्रेस-जद(एस) के 15 बागी विधायकों को विधानसभा के मौजूदा सत्र की कार्यवाहियों में हिस्सा लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
सत्ताधारी गठबंधन की कुल क्षमता 117- कांग्रेस 78, जद(एस) 37, बसपा-1 और नामित-1- हैं। इसके अलावा अध्यक्ष हैं। दो निर्दलीय विधायकों के समर्थन के साथ विपक्षी भाजपा के पास 107 विधायक हैं। कर्नाटक विधानसभा में एक नामित सदस्य और विधानसभा अध्यक्ष समेत कुल 225 सदस्य हैं। अगर 15 विधायकों (12 कांग्रेसी और तीन जद(एस) से) के इस्तीफे स्वीकार किए जाते हैं तो सत्ताधारी गठबंधन की संख्या घटकर 101 रह जाएगी और सरकार अल्पमत में आ जाएगी। अब यह कहा जा सकता है कि कुमारस्वामी सरकार बचेगी या जाएगी, यह अब बागी विधायक ही तय करेंगे।