मध्य प्रदेश में विधानसभा उप-चुनाव हार चुकीं पूर्व मंत्री इमरती देवी को ग्वालियर का बंगला खाली करने का नोटिस देना लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री (एक्जिक्यूटिव इंजीनियर) ओम हरि शर्मा को महंगा पड़ गया है। ग्वालियर के कार्यपालन यंत्री के पद से हटाते हुए उनका तबादला भोपाल कर दिया गया है।

पिछले दिनों हुए विधानसभा उप-चुनाव में इमरती देवी ग्वालियर के डबरा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव हार गई थीं। उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा भी दे दिया, मगर अभी तक उसे मंजूर नहीं किया गया है। इमरती देवी को ग्वालियर में सरकारी बंगला मिला हुआ है। प्रभारी कार्यपालन यंत्री शर्मा ने शनिवार सुबह इमरती देवी को पूर्व मंत्री बताते हुए आवास खाली करने का नोटिस दिया था। शाम होते उन्होंने दूसरा पत्र लिखा, जिसमें इमरती देवी को मंत्री बताया गया और पूर्व में जारी आवास खाली करने को नोटिस निरस्त कर दिया।
इमरती देवी की गिनती पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबियों में होती है। यही कारण है कि आवास रिक्त करने के नोटिस ने तूल पकड़ा तो रविवार को लोक निर्माण विभाग के उप-सचिव प्रबल सिपाहा ने ओम हरि शर्मा को ग्वालियर के प्रभारी कार्यपालन यंत्री के पद से हटाते हुए उनका तबादला भोपाल कर किए जाने का आदेश जारी कर दिया।
गौरतलब है कि, पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार में मंत्री बनने के बाद इमरती देवी को ग्वालियर के झांसी रोड स्थित बंगला नंबर 44-A आवंटित किया गया था। जब वह कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुईं तो न उनका मंत्रालय बदला और न ही बंगला।
इमरती देवी सहित कांग्रेस के 22 विधायक मार्च में कांग्रेस की सदस्यता और विधायक पद से त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल हो गये थे। इससे प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार अल्पमत में आकर गिर गई। इसके बाद प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में सरकार बनी।