इस्लामोफोबिया के डर में पड़ा हुआ पत्रकार समुदाय अपने आपको किस हद तक बदल चुका है, ये बात अब किसी से छुपी नही है। जिस तरह असम की गायिक नाहिद आफरीन के खिलाफ फतवे का हंगामा भारतीय मीडिया ने किया, उससे इस बात का अंदाजा हो जाता है कि, भारतीय मीडिया में इस्लामोफोबिया अपनी जगह किस हद तक बना चुका है।

हाल ही में इंडियन एक्सप्रेस न्यूज़ पेपर के ‘द फाइनेंशल एक्सप्रेस’ ने इस ख़बर को प्रकाशित किया था कि, अभिनेता कमल हासन ने किस तरह द्रौपदी पर टिप्पणी की है। बता दें कि फाइनेंसियल एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट का शीर्षक था कि क्या कमल हासन हिन्दू विरोधी है।
लेखिका मणिका गुप्ता ने लिखा है कि, ‘वह न केवल दो समूहों के बीच दुश्मनी को उकसाता है बल्कि यह भी भूल रहा है कि उनके धर्म में महिलाओं की सबसे खराब स्थिति है। महाभारत में एक-तरफ संदर्भ के बारे में परेशान करने के बजाय उन्हें और मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए। वह अपने व्यवसाय को ध्यान में रख सकते है।’
लेखक मणिका गुप्ता ने ‘हिंदुद्रोही विरोधी’ होने के लिए अभिनेता की आलोचना करते हुए आश्चर्यजनक रूप से उन्हें मुस्लिम घोषित कर दिया। जो कि पत्रकारिता का बहुत ही कमजोर पहलू दिखाता है, इतना ही नहीं कई पत्रकारों ने इसकी अलोचना भी की जिसके बाद इस संदर्भ को लेखक को हटाना पड़ा।
बाद में न्यूज़ पेपर ने अपने बचाव में लिखा कि उनसे गलती हुई कि उन्होंने कमल हासन को मुस्लमान बताया और वो इसके लिए बहुत शर्मिदा है। कमल हासन के संदर्भ में महाभारत का हवाला देते हुए कहा था कि महिलाओं को जुए की गारंटी के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है और उनके खिलाफ शिकायत दायर की गई हैं।