ब्लैकमेलिंग और जबरन वसूली के एक कथित मामले में गाजियाबाद से गिरफ्तार किए गए पत्रकार विनोद वर्मा को रविवार (29 अक्टूबर) को एक स्थानीय अदालत ने 31 अक्तूबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है। बता दें कि छत्तीसगढ़ पुलिस ने ब्लैकमेलिंग और उगाही के आरोप में वरिष्ठ पत्रकार विनोद वर्मा को गाजियाबाद के इंदिरापुरम इलाके से शुक्रवार तड़के गिरफ्तार किया था।

वर्मा के वकील फैजल रिजवी ने न्यूज एजेंसी PTI को बताया कि कल रात गाजियाबाद से ट्रांजिट रिमांड पर यहां लाये गये वर्मा को आज शाम न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी एस पी त्रिपाठी की अदालत में पेश किया गया। उन्होंने बताया कि अदालत ने उन्हें 31 अक्तूबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है।
सख्त सुरक्षा इंतजाम के बीच विनोद वर्मा को अदालत लाया गया था। बचाव पक्ष के वकील के मुताबिक पत्रकार ने सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत आज एक अर्जी भी देते हुए इदावा किया कि उन्हें फंसाया गया है। दरअसल, इस सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत मजिस्ट्रेट इस मामले में जांच का दे सकता है।
रिजवी ने बताया कि वर्मा ने आरोप लगाया है कि छत्तीसगढ़ के दो प्रभावशाली मंत्रियों ने उनके खिलाफ साजिश रची और उनके पास से कोई सीडी जब्त नहीं हुई है। वकील ने यह भी बताया कि उन्होंने दावा किया कि पुलिस हिरासत में उनकी जान को खतरा है।
गौरतलब है कि शुक्रवार को गाजियाबाद में गिरफ्तार किए जाने के बाद वर्मा ने कहा था कि छत्तीसगढ़ के एक मंत्री के खिलाफ उनके पास एक सेक्स टेप है। वहीं, रायपुर पुलिस के मुताबिक पांद्री पुलिस थाना में प्रकाश बजाज द्वारा दर्ज कराई गई एक शिकायत के आधार पर वर्मा के खिलाफ ब्लैकमेलिंग और जबरन वसूली का एक मामला दर्ज किया गया है।