‘टाइम’ पत्रिका ने कवर स्टोरी में पीएम नरेंद्र मोदी को बताया ‘इंडियाज़ डिवाइडर इन चीफ’, सोशल मीडिया पर मचा घमासान

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प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका टाइम ने 20 मई के अपने नए संस्करण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कवर पेज पर जगह दी है, हालांकि पत्रिका ने पीएम मोदी को विवादित उपाधि देते हुए उन्हें “India’s Divider in Chief” यानी को ‘भारत को प्रमुख रुप से बांटने वाला सरदार’ बताया है। पत्रिका के एशिया एडिशन ने लोकसभा चुनाव 2019 और पिछले पांच सालों में नरेंद्र मोदी सरकार के कामकाज पर लीड स्टोरी की है।

पत्रिका के अंदर जो कवर स्टोरी है उसका शीर्षक है, ‘कैन द वर्ल्ड्स लार्जेस्ट डेमॉक्रेसी एंड्यूर अनदर फाइव ईयर्स ऑफ मोदी गवर्नमेंट? (Can the World’s Largest Democracy Endure Another Five Years of a Modi Government?)’ यानी क्या दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र मोदी सरकार के और पांच साल सहन कर पाएगा? कवर स्टोरी में मौजूदा लोकसभा चुनाव का गुणा भाग और मोदी सरकार के पांच साल का विवरण दिया है।

पत्रिका के मुताबिक पीएम मोदी इस मायने में खुशनशीब हैं कि उनके खिलाफ विपक्ष काफी कमजोर है। कांग्रेस की अगुवाई में और उसके साथ साथ एक ऐसा विपक्ष है जिसका कोई एजेंडा नहीं है वो सिर्फ पीएम मोदी को हराना चाहता है। प्रधानमंत्री मोदी के कामकाज पर सख्त आलोचनात्मक टिप्पणी करते हुए पत्रिका ने नेहरू के समाजवाद और भारत की मौजूदा सामाजिक परिस्थिति की तुलना की है। आतिश तासीर द्वारा लिखे गए इस आलेख में कहा गया है कि मोदी ने हिंदू और मुसलमानों के बीच भाईचारे की भावना को बढ़ाने के लिए कोई इच्छा नहीं जताई।

टाइम के इस स्टोरी में आगे कहा गया है कि नरेंद्र मोदी ने अपने भाषणों और बयानों में भारत की महान शख्सियतों पर राजनीतिक हमले किए, जिनमें नेहरू तक शामिल हैं। वह कांग्रेस मुक्त भारत की बात करते हैं, उन्होंने कभी भी हिंदू-मुसलमानों के बीच भाईचारे की भावना को मजबूत करने के लिए कोई इच्छाशक्ति नहीं दिखाई।

पत्रिका के इस स्टोरी में आगे लिखा गया है कि मोदी का सत्ता में आना इस बात को दिखाता है कि भारत में जिस उदार संस्कृति की चर्चा की कथित रूप से चर्चा की जाती थी, वहां पर दरअसल धार्मिक राष्ट्रवाद, मुसलमानों के खिलाफ भावनाएं और जातिगत कट्टरता पनप रही थी।

टाइम के इस आलेख में 1984 के सिख दंगों और 2002 के गुजरात दंगों का भी जिक्र है। लेख में कहा गया है कि हालांकि कांग्रेस नेतृत्व भी 1984 के दंगों को लेकर आरोप मुक्त नहीं है, लेकिन फिर भी इसने दंगों के दौरान उन्मादी भीड़ को खुद से अलग रखा, लेकिन नरेंद्र मोदी 2002 के दंगों के दौरान अपनी चुप्पी से ‘उन्मादी भीड़ के दोस्त’ साबित हुए।

इस आलेख में मॉब लिंचिंग और गाय के नाम पर हुई हिंसा का भी जिक्र किया गया है। लेखक तासीर ने कहा है कि गाय को लेकर मुसलमानों पर बार-बार हमले हुए और उन्हें मारा गया। एक भी ऐसा महीना न गुजरा हो जब लोगों के स्मार्टफोन पर वो तस्वीरें न आई जिसमें गुस्साई हिन्दू भीड़ एक मुस्लिम को पीट न रही हो। पत्रिका में एक अन्य आलेख भी छापा है, जिसका शीर्षक ‘मोदी द रिफॉर्मर’ है। इसे इयान ब्रेमर ने लिखा है।

देखें, सोशल मीडिया पर लोगों के रिएक्शन

 

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