पिछले दिनों दिल्ली के आर्कबिशप की ओर से जारी किए गए एक पत्र को लेकर हुआ विवाद अभी ठंडा ही नहीं हुआ कि अब गोवा और दमन के आर्कबिशप फिलिप नेरी फेराओ के ईसाइयों को लिखे एक पत्र पर विवाद शुरू हो गया है। इसमें उन्होंने कहा है कि संविधान खतरे में है। इस वक्त ज्यादातर लोग असुरक्षा में जी रहे हैं। ईसाई समुदाय को लिखे गए एक पत्र में उन्होंने कहा कि संविधान को ठीक से समझा जाना चाहिए, क्योंकि आम चुनाव करीब आ रहे हैं।
आर्कबिशप ने यह भी कहा कि मानवाधिकारों पर हमले हो रहे हैं और लोकतंत्र खतरे में नजर आ रहा है। उन्होंने 1 जून से पादरी वर्ष (पैस्टोरल ईयर) की शुरुआत के मौके पर जारी पत्र में गोवा एवं दमन क्षेत्र के ईसाई समुदाय को संबोधित किया गया है और इस पत्र में यह लिखा है। आर्कबिशप फरारो ने कैथोलिक ईसाइयों को सलाह देते हुए कहा है कि उन्हें राजनीति में ‘संक्रिय भूमिका’ अदा करना चाहिए।
Our Constitution is in danger, it's a reason why most of people live in insecurity. Particularly as general elections are fast approaching,we must strive to know our Constitution better & work harder to protect it:Filipe Neri Ferrao,Goa's Archbishop in pastoral letter for 2018-19 pic.twitter.com/3Rt1hwHsCn
— ANI (@ANI) June 4, 2018
यही नहीं उन्होंने एक तरह से इशारों में मौजूदा सरकार पर हमला करते हुए कहा कि भारतीय संविधान खतरे में है और देश पर ही एक ही संस्कृति को हावी करने का प्रयास किया जा रहा है। फिलिप नेरी फेराओ ने लोगों से संविधान को जानने और धर्मनिरपेक्षता, बोलने की आजादी और धर्म की आजादी जैसे मूल्यों को बचाने की अपील की है। पादरी वर्ष 1 जून से 31 मई तक होता है।
रविवार को जारी अपने 2018-19 के लिए सालाना संदेश में आर्कबिशप फिलिप नेरी फेराओ ने लिखा है, ‘यह कहना जरूरी हो गया है कि आस्थावान लोग सक्रिय राजनीति में हिस्सा लें। हालांकि उन्हें अपनी अंतरात्मा की आवाज के अनुसार ही काम करना चाहिए और चापलूसी की राजनीति को खत्म करना चाहिए। उन्हें लोकतंत्र को मजबूत करना चाहिए और दूसरी तरफ राज्य के प्रशासन को बेहतर करना चाहिए। सामाजिक न्याय के आदर्शों और भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग को प्राथमिकता में रखना चाहिए।’ उन्होंने पत्र में लिखा है कि विकास के नाम पर लोगों को उनकी जमीन और घरों से उजाड़ा जा रहा है और मानवाधिकारों का हनन किया जा रहा है।
आगे लिखा है हाल के दिनों में एक नया ट्रेंड देखा गया है कि देश में एकरूपता थोपने का प्रयास किया जा रहा है। यहां तक कि लोगों के खाने, पहनने, रहने और पूजा करने के तरीकों पर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं। हालांकि इस बयान के सामने आने के बाद गोवा के आर्कबिशप के सेक्रटरी ने सफाई दी है। उनके सचिव ने कहा, “हम हर साल पत्र प्रकाशित करते हैं। इस बार किसी तरह एक-दो बयानों को मुद्दा बनाया गया। पत्र हमारी वेबसाइट पर है और सभी को इसे पढ़ना चाहिए ताकि पता चल सके कि इसे किस संदर्भ में लिखा गया है।”
We release pastor letters every year, this time some how 1-2 statements have been taken out of context & issue is created. Letter is on your website you must read it to understand context: Secretary of Goa Archbishop on Archbishop's letter stating, 'Our Constitution is in danger' pic.twitter.com/fAi81Nwj1x
— ANI (@ANI) June 5, 2018
बता दें कि इससे पहले पिछले महीने ही दिल्ली के आर्कबिशप अनिल काउटो ने भारत में धर्मनिरपेक्षता को खतरे में बताया था। जिसपर राजनैतिक विवाद खड़ा हो गया था। पत्र में उन्होंने ‘अशांत राजनैतिक वातावरण’ का जिक्र किया, जिसकी वजह से लोकतंत्र तथा धर्मनिरपेक्षता को खतरा है, तथा इसमें सभी पादरियों से वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले ‘देश के लिए प्रार्थना’ करने का आग्रह किया गया था। दिल्ली के आर्कबिशप अनिल कूटो ने अपने खत में प्रार्थना अभियान चलाने तथा प्रत्येक सप्ताह में एक दिन ‘देश की खातिर’ उपवास रखने के लिए कहा था।