हरियाणा की मनोहर खट्टर सरकार ने अपने अफसरों और कर्मचारियों को एक हफ्ते में कम से कम एक कैशलेस ट्रांजेक्शन करने का फरमान जारी किया है। कर्मचारी यूनियन इस फैसले का विरोध कर रही हैं। कर्मचारी संघों ने इस आदेश की आलोचना की और कहा कि सरकार ऑनलाइन पेमेंट करने के लिए उनपर दबाव नहीं बना सकती।
मोदी सरकार द्वारा जब से नोटबंदी का फरमान जारी हुआ हैं तब से ही लोगो को कैश के लिए परेशान होना पड़ रहा हैं। एक महीने से अधिक गुजर जाने पर भी नकदी की समस्या पहले जैसी ही बनी हुई है। इस समस्या के समाधान में पीएम मोदी कैशलेस ट्रांजेक्शन पर अधिक ज़ोर दे रहे है। बिजली-पानी की बुनियादी सुविधाओं से वंचित लोग अभी कैशलेस इकाॅनमी में दिलचस्पी लेते नहीं दिख रहे है? लेकिन हरियाणा सरकार ने इस परेशानी का हल भी खोज निकाला है।
हरियाणा सरकार ने पीएम मोदी के कैशलेस ट्रांजेक्शन के सुझाव को अपने कर्मचारियों पर थोप दिया है। हरियाणा सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए अपने मोबाइल से हफ्ते में कम से कम एक दिन डिजिटल ट्रांजैक्शन करना अनिवार्य कर दिया है।
आदेश के मुताबिक, कर्मचारियों को अगले सात दिनों में एक बार मोबाइल फोन से डिजिटल ट्रांजेक्शन करनी होगी और इसका सबूत भी जमा करना होगा। अधिकारियों और प्रबंधकों को यह निर्देश दिया जाता है कि वह स्वयं सात दिन के भीतर कम से कम एक ट्रांजैक्शन ऐप अपने मोबाइल में डाउनलोड करें। कर्मचारी संघों ने हालांकि इस आदेश की आलोचना की और कहा कि सरकार ऑनलाइन पेमेंट करने के लिए उनपर दबाव नहीं बना सकती।
जनसत्ता की खबर के अनुसार, सरकार के आदेश में लिखा है, “राज्य सरकार डिजिटल इकॉनमी के उपयोग को बढ़ावा देने पर जोर देती है और लोगों व साथ में सरकारी अधिकारियों को SBI Buddy, USSD और UPI जैसी बैंकिंग ऐप्स का इस्तेमाल करने की अपील करती है।” आदेश में आगे लिखा गया है, “अफिसर्स/इंचार्जों को अपने मोबाइल में ऐप डाउनलोड करनी होगी।
सरकार ने दो नोडल ऑफिसर भी नियुक्त किए हैं, जिनके पास हर विभाग को अपने कर्मचारियों द्वारा दिए गए सबूतों को जमा कराना होगा
सरकार ने आदेश तो जारी कर दिया लेकिन प्रश्न उठता है कि क्या सरकार के पास ऐसा कोई आंकड़ा भी है जिससे ये पता चल सके कि राज्य के कितने कर्मचारी स्मार्ट फोन का प्रयोग कर रहे है और जिनके पास स्मार्ट फोन और इंटरनेट की सुविधा नहीं है क्या उनके लिए सरकार ने कोई योजना बनाई है?