मनचाहा विभाग न मिलने से ‘खफा’ चल रहे गुजरात के नवनिर्वाचित उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल की भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से फोन पर बातचीत के बाद नाराजगी दूर हो गई है। न्यूज एजेंसी ANI की रिपोर्ट के मुताबिक साथ ही बीजेपी ने उन्हें वित्त मंत्रालय जैसा अहम विभाग देकर मना लिया है। अमित शाह के फोन के बाद पटेल ने रविवार को गांधीनगर जाकर उपमुख्यमंत्री का पदभार संभाल लिया।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मुताबिक उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल को वित्त मंत्रालय दे दिया गया है। बता दें कि गुजरात में नई सरकार के गठन के कुछ दिन बाद भी मनचाहा विभाग न मिलने से नाराज थे जिस वजह से उन्होंने आवंटित विभागों का जिम्मा नहीं संभाला था।
दरअसल, आज सुबह शाह से बातचीत और सरकार में उनके ‘कद’ के मुताबिक नंबर दो का मंत्रालय दिए जाने के आश्वासन के बाद पटेल कार्यभार संभालने के लिए तैयार हो गये। इससे पहले पटेल ने कहा कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने उन्हें महत्वपूर्ण विभाग देने का आश्वासन दिया है।
Nitin Patel takes charge as #Gujarat Deputy Chief Minister in Gandhinagar pic.twitter.com/x3FydfKfCi
— ANI (@ANI) December 31, 2017
पटेल ने कहा कि, ‘मुझे उचित पद मिलने का आश्वासन दिया गया है। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मेरी फोन पर बात हुई। मैं उन्हें धन्यवाद देता हूं।’ नितिन पटेल ने कहा कि अमित शाह के भरोसे के बाद उचित विभाग मिलने पर मंत्रालय जाकर कार्यभार संभालेंगे। बता दें कि पटेल को बीजेपी हाईकमान से इस पर उचित प्रतिक्रिया की उम्मीद थी, अब अमित शाह की तरफ से भरोसा दिए जाने के बाद अपनी नाराजगी दूर कर ली है।
I have been assured that I will be given suitable departments, I also talked to Amit Shah ji over the phone. I thank him for the assurance: Nitin Patel pic.twitter.com/42okaEduKt
— ANI (@ANI) December 31, 2017
नितिन पटेल ने कहा कि, ‘चूंकि अमित शाह जी ने मेरे ऊपर भरोसा जताया है, इसलिए मैं पदभार संभाल रहा हूं। कैबिनेट की मीटिंग हुई थी। मैंने सीएम के साथ इसमें हिस्सा लिया और अनुशासन बनाए रखा। मैंने हाई कमान से कहा था कि अगर मुझे महत्वपूर्ण मंत्रालय नहीं दिए गए तो एक मंत्री की जिम्मेदारी से मुझे मुक्त कर दिया जाए।’
दरअसल, ऐसी खबरें थी कि नितिन पटेल बीजेपी की नई सरकार में उन्हें उपमुख्यमंत्री ऑफिस को उपयुक्त विभाग नहीं मिलने की वजह से नाराज हैं। इससे पहले नितिन पटेल ने शनिवार (30 दिसंबर) को कहा कि अब यह उनके आत्म सम्मान का मुद्दा है। उन्होंने कहा कि ‘‘मैंने पार्टी हाईकमान को अपनी भावनाओं से अवगत करा दिया है और मुझे उम्मीद है कि वे मेरी भावनाओं पर उचित प्रतिक्रिया देंगे।’’
उपमुख्यमंत्री ने कहा यह कुछ विभागों की बात नहीं है, यह आत्मसम्मान की बात है। वहीं नितिन पटेल का समर्थन करते हुए पाटीदार नेता लालजी पटेल ने एक जनवरी को मेहसाना बंद करने का ऐलान किया है। उन्होंने नितिन पटेल को गुजरात का मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने की सूरत में पूरे राज्य के बंद के आह्वान की धमकी दी।
सरदार पटेल समूह के संयोजक लालजी पटेल ने शनिवार को उप-मुख्यमंत्री व उनके दर्जनों समर्थकों के साथ गांधीनगर के अपने सरकारी आवास पर मुलाकात की। लालजी पटेल ने संवाददाताओं से कहा कि बीजेपी बार-बार नितिन-भाई पटेल के साथ अन्याय कर रही है। आज मैंने उनसे और मेहसाना से उनके समर्थकों से मुलाकात की और हमने उनके समर्थन में एक जनवरी को मेहसाना बंद रखने का आह्वान किया।
बता दें कि नितिन पटेल मेहसाना से विधायक हैं जहां पाटीदारों की संख्या काफी है और यह जगह कोटा आंदोलन के केंद्र में भी रही। इससे पहले पादीदार नेता हार्दिक पटेल ने कहा है कि गुजरात सरकार में महत्वपूर्ण विभाग न दिए जाने से नाराज उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल को चाहिए कि वे बीजेपी छोड़कर कांग्रेस पार्टी में शामिल हो जाएं।
हार्दिक पटेल ने शनिवार को अहमदाबाद में कहा कि, ‘अगर वह (नितिन पटेल) और अन्य 10 विधायक पार्टी छोड़ कांग्रेस में शामिल होते हैं तो मैं और मेरे समर्थक पार्टी में नितिन पटेल का स्वागत करने के लिए कांग्रेस नेतृत्व से बातचीत करने के लिए तैयार हैं।’
बता दें कि पिछली सरकार में नितिन पटेल को वित्त, शहरी विकास और पेट्रोरसायन जैसे मंत्रालय दिए गए थे, जबकि नई सरकार में उन्हें कम महवपूर्ण माने जाने वाले सड़क और इमारत और स्वास्थ्य जैसे विभागों का भार सौंपा गया है। उपमुख्यमंत्री पटेल इन महत्वपूर्ण विभागों के छीने जाने से पार्टी से नाराज थे। वित्त एवं पेट्रोरसायन विभाग सौरभ पटेल को दिया गया है, जिन्हें विजय रूपानी की पिछली सरकार में जगह नहीं दिया गया था।
जबकि मुख्यमंत्री रूपानी ने शहरी विकास विभाग अपने पास रखा है। इससे क्षुब्ध, नितिन पटेल शुक्रवार को गांधीनगर में सचिवालय नहीं गए, जबकि उनके साथ मंत्रिमंडल के सभी नए साथियों ने अपना कार्यभार संभाल लिया। यह भी कयास लगाए जा रहे थे कि वह पार्टी से भी इस्तीफा दे सकते हैं। उन्होंने रविवार सुबह तक सरकारी वाहन और सुरक्षा भी नहीं ली थी। हालांकि अमित शाह के फोन के बाद उनकी नाराजगी समाप्त हो गई है।