उच्चतम न्यायालय ने रियल एस्टेट कारोबारी गोपाल अंसल को कोई भी राहत देने से आज इंकार करते हुये उन्हें निर्देश दिया कि 1997 के उपहार सिनेमा अग्निकांड मामले में एक साल की सजा भुगतने के लिये वह शाम तक समर्पण करें।
प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर, न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने गोपाल अंसल को समर्पण करने के लिये और अधिक वक्त देने से इंकार कर दिया।
भाषा की खबर के अनुसार, गोपाल का कहना था कि उन्होंने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर की है और इसी आधार पर उन्हें समर्पण के लिये कुछ समय और प्रदान किया जाये।
गोपाल अंसल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने आज जब इस मामले का उल्लेख किया और समर्पण के लिये कुछ और समय मांगा तो पीठ ने कहा, खेद है, हम ऐसा नहीं कर सकते। जेठमलानी का कहना था कि उन्होंने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर की है।
शीर्ष अदालत ने गोपाल अंसल की दया याचिका के शीघ्रता से निबटारे का निर्देश देने का जेठमलानी का अनुरोध भी ठुकरा दिया। पीठ ने कहा कि वह इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती क्योंकि यह पूरी तरह से राष्ट्रपति के अधिकार क्षेत्र में आता है।