गोवा में कांग्रेस विधायकों का एक समूह अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए राज्य विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बावजूद सरकार बनाने में नाकाम रहने के लिए पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराया है।
वालपोई विधानसभा से कांग्रेस विधायक विश्वजीत राणे ने कहा कि ‘गोवा विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद मैं स्थिति से निपटने के लिए अपनी पार्टी नेताओं के तरीके से बहुत दुखी हूं। चुनाव परिणाम में सरकार बनाने के लिए हम सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरे हैं। पार्टी नेताओं के कामकाज पर निराश हूं, जो सही समय पर सही निर्णय नहीं ले सके।’
उन्होंने कहा कि पार्टी नेताओं ने कांग्रेस विधायक दल का नेता का चयन करने में ‘देरी’ की और इसे जमीनी स्तर पर ‘कुप्रबंधन’ करार दिया। उन्होंने कहा कि वह पार्टी नेताओं की देरी और कुप्रबंधन से आहत हैं। गौरतलब है कि भाजपा राज्य की 40 विधानसभा क्षेत्रों में 13 सीटें जीतकर दूसरे स्थान पर रही, जबकि कांग्रेस ने 17 सीटें जीती हैं।
बहरहाल, भाजपा पर्रिकर के नेतृत्व में अन्य पार्टियों और निर्दलीय का समर्थन हासिल करके संख्याबल जुटाने में कामयाब रही है। गोवा फॉरवर्ड पार्टी के तीन विधायक, एमजीपी के तीन विधायक और दो निर्दलीयों ने पर्रिकर को समर्थन देने का एलान कर दिया है।
हालांकि, इससे पहले त्रिशंकु विधानसभा का परिणाम आने के तुरंत बाद स्वतंत्र प्रत्याशी रोहन खुंटे ने कांग्रेस के प्रति अपना समर्थन जताया था। इसके अलावा शनिवार को गोवा फारवर्ड पार्टी के तीन अन्य स्वत्रंत विधायकों के साथ औपचारिक बातचीत जारी थी। भाजपा सत्ता में कब्जा नहीं करने के लिए बहुमत की संख्या नहीं जुटा सकी और उसने उन लोगों को प्रतिद्वंद्वियों को अपनी ओर मिला लिया।