इरशाद अली
कुछ सप्ताह पहले विदेशी मूल के डिक स्मिथ ने ट्रेन द्वारा भारत यात्रा का मन बनाया और अपने आईफोन से विभिन्न तस्वीरें खींच कर भारत को एक नये नजरियें से देखने की कोशिश में उन्होंने एक अलग तरह की मिसाल दुनियाभर के सामने पेश की। अपने द्वारा खीचीं गई तस्वीरों में उन्होंने एक पुल के नीचे गुलाबी कंगन पहने हुई बिना कपड़ों में एक छोटी बच्ची की तस्वीर उतारी थी। वापस आने पर उन्होंने इस बच्ची को दोबारा खोज कर मदद करने का फैसला लिया। उन्होंने अपने सहयोगी क्रिस बे्र को वो तस्वीर दिखाई और उस छोटी बच्ची की मदद के लिये खोज लाने को कहा।
उस तस्वीर में किसी रेलवे पुल के नीचे कुछ बेघर परिवार अपने बच्चों के साथ दिख रहे थे जिनमें से वो बच्ची भी थी जो पीछे मुंह किए हुए थी। साथ ही कुछ और लोग वहां जिन्दगी को गुजारते हुए दिख रहे थे। जिस समय ये फोटो डिक स्मिथ ने लिया था तब उनके फोन में यहां की मेप लोकेशन भी सेव हो गयी थी। लेकिन फिर भी सवा अरब से अधिक लोगों की भीड़ में से एक बार फिर से उस बच्ची को तलाश करना आसान काम नहीं था।
इसके बाद क्रिस ब्रे निकल पड़े अपने सफर पर चूंकी मेप की लोकेशन गुजरात के वडोदरा के पास की दिखाई दी थी तो सिडनी से आबूधाबी होते हुए मुम्बई और फिर वडोदरा के लिये क्रिस ब्रे ने उड़ान भरी।
उनके पास इस काम के लिये केवल 10 दिनों को ही दिया गया था पहले दिन ही तीन बजे तक वो वडोदरा की सड़कों पर थे अपने होटल से आॅटोरिक्शा के सफर से क्रिस ने अपनी खोज शुरू कर दी थी।
चूंकी क्रिस के लिये ये काम आसान नहीं था क्योंकि भाषा की समस्या एक बड़ी परेशानी के रूप में उभरकर सामने आने वाली थी तो तो उन्होंने पहले से ही ईमेल के द्वारा बात कर जयति को बतौर अनुवादक इस काम में मदद के लिये पेशकश दी जिसे जयति ने सहज ही मान लिया
फिर शुरू हुआ उस बच्ची को तलाश करने का पेचिदा सफर। उस इलाके के कई पुलों पर उन्होंने उस बच्ची की खोज की जिसमें शास्त्री ब्रिज, पाॅलीटेक्निक ब्रिज समेत एक-एक चप्पा चप्पा खोजा उस फोटो से मिलान के लिये।
गुजरात के वडोदरा के उस इलाके में वो एक के बाद एक सभी पुलों पर अपनी तलाश जारी रखें हुए थे जिसका फोटो डिक स्मिथ ने यहां से गुजरते हुए ट्रेन से खींचा था।
जयति ने वहां के स्थानिय लोगों को तस्वीर दिखा कर उस परिवार के बारेें मेें अपनी पड़ताल जारी रखी और पूरे दिन लगातार क्रिस ब्रे और जयति लोगों से मिलते रहे अपनी खोज के लिये।
आखिर बहुत कोशिश के बाद दूसरे दिन वो पुल दिखाई दिया लेकिन परेशानी ये थी कि तस्वीर में लिया गया दृश्य अब उस पुल पर नहीं दिखाई दे रहा था क्रिस को वो पुल नहीं बल्कि गुलाबी कंगन पहने हुई उस बच्ची की तलाश थी जिसे तस्वीर में दिखाया गया था। लेकिन वो परिवार अब वहां नहीं था। शायद वे कहीं और बस गए थे। अब समस्या थी उस परिवार को तलाश करने की।
अब क्रिस को इस काम के लिये एक से ज्यादा लोगों की मदद की जरूरत थी उस परिवार को तलाश करने के लिये। क्योंकि अब तलाश ये करना था कि आखिर वो परिवार इस पुल के बाद कहां पर शिफ्ट हो गया है।
क्रिस ने एक टीम बना वहां की दूसरी इसी प्रकार की लोकेशन पर भी अपनी खोज जारी रखी। वे कई इस तरह की स्लम बस्तियों के चक्कर लगा कर उस परिवार के बारें में जानना चाह रहे थे।
वहां के इलाके मेें लोगों को वो तस्वीर दिखा कर पता लगा पाना एक बेहद मुश्किल और चुनौति भरा काम था लेकिन क्रिस और उनकी टीम पूरी ताकत से इस काम को अंजाम दे रहे थे।
और आखिरकार उन लोगों को एक परिवार ऐसा मिला जो उस बच्ची और उस परिवार को जानता था यहां से आशा की एक किरण दिखाई दी थी उस बच्ची की तलाश के लिये। अब क्रिस और उनकी टीम बताये गए ठिकाने की और बढ़ गए।
जैसे-जैसे वो लोग आगे बढ़ रहे थे वहां उस परिवार को पहचानने वाले कई लोग उनसे मिलते गए। क्रिस अब जाने चुके थे कि वो अपनी खोज के बहुत करीब है। और उन्हें ये भी पता लग गया था कि वो परिवार उसे पुल के नीचे से अब इस बस्ती में शिफ्रट हो गया है।
और आखिर उनकी मेहनत रंग लाई उस बच्ची को तलाश कर लिया गया था। उसके हाथ में वहीं गुलाबी कंगन था। लेकिन इस बार वह कपड़े पहने हुई थी और हाथ में एक प्लास्टिक की बोतल लिये हुए अपनी मां के साथ मिली वे बहुत शरमाई हुई थी और संकोच में थी।
उस बच्ची का नाम दिव्या था जिसे कुछ सप्ताह पहले ट्रेन से खींचे गए फोटो में केवल पीछे से देखा गया था। अब वो उनके सामने थी।
टीम की खोज पूरी हुई थी। डिक स्मिथ को खबर दे दी गई थी उस परिवार को खोज लेने की। अब उनकों दूसरा कदम उस परिवार की मदद करना था जिसे इतनी मशक्कत के बाद खोजा गया था।
उस बच्ची के लिये जरूरत की सभी चीजें उसकी शिक्षा और एक बेहतर जीवन के लिये जरूरी संसाधनों के लिये व्यवस्था बनाने के लिये जरूरी कार्यवाहियों को किया गया जिनमें एक महत्वपूर्ण कार्यवाही थी बैंक में अंकाउंट होना लेकिन उस परिवार के पास अपनी पहचान को कोई भी पु्रफ नहीं था जैसे कोई पहचान पत्र, आधार कार्ड या अन्य लेकिन फिर भी स्माइल योजना के आधार पर उस बच्ची को एकांउट खुलवाने को प्रोसेसे शुरू किया गया जिसमें केवल एक मुस्कान वाले चेहरे के साथ एकाउंट खोल दिया जाता है।
दिव्या की फोटो ली गई और बैंक अंकाउंट खुलवाया गया जिससे वो अपने बेहरतर भविष्य में कदम रख सके।
इसके बाद दिव्या के परिवार को डिक स्मिथ के बारें में बताया गया कि किस तरह से उन्होंने ये तस्वीर उतारी थी और जो उनकी इस तरह से मदद कर रहे है।
इसके बाद क्रिस ने वे सभी कार्य किए जो इस परिवार के लिये जरूरी थे और जिसके उनको निर्देश दिए गए थे। जैसे रोजमर्रा की जिन्दगी के लिये बेहतर भोजन, कपड़े, शिक्षा और दूसरी अन्य जरूरी चीज़ें। अब दिव्या अपनी इस अनूठी पहल से एक नये जीवन में प्रवेश कर चुकी है।
अब दिव्या अपने परिवार के साथ डिक स्मिथ की पहल से नई जिन्दगी में प्रवेश कर चुकी है तब डिक का मानना है वो क्रिसमस से पहले ही अपना क्रिसमस मना चुके है किसी के अंधेरे जीवन मंे प्रकाश की किरण ले आना ही वो सच्चा क्रिसमस मानते है। और अपनी इस पहल पर गर्व करते है।
I am really touched after reading this. Thanks and Salute to Mr. Dick for his determination & helping a girl child. He sat an example for others to help the needy.