भारतीय सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर को दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) की प्रबंध समिति में सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर शामिल करना हितों के टकराव का मुद्दा बन गया है। बता दें कि गौतम गंभीर दिल्ली क्रिकेट में एक और भूमिका निभाते नजर आएंगे। वह दिल्ली और जिला क्रिकेट संघ की प्रबंध समिति में सरकार के प्रतिनिधि होंगे।

गंभीर ने शुक्रवार को साफ तौर पर कहा कि वह विवादों से घिरे संघ का पुराना वैभव लौटाने के लिये अपनी ओर से पूरा प्रयास करेंगे। दिल्ली के दिग्गज और मौजूदा क्रिकेटर गंभीर ने नियुक्ति को लेकर खेलमंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर को ट्विटर पर धन्यवाद दिया था।
गंभीर ने शुक्रवार (10 नवंबर) ट्विटर पर इसकी घोषणा करते हुए कहा था कि उन्हें डीडीसीए की प्रबंध समिति में शामिल किया गया है। इसके लिए उन्होंने खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को शुक्रिया भी कहा था। उन्होंने लिखा- फिरोजशाह कोटला पर फील्ड में बदलाव का मौका मिला। अब डीडीसीए में बदलाव का समय है। इसका खोया गौरव लौटाना है। डीडीसीए की प्रबंध समिति में सरकारी प्रतिनिधि बनकर गौरवान्वित हूं। धन्यवाद राज्यवर्धन सिंह राठौर।
Had the honour of adjusting fields at Ferozeshah Kotla. Time to adjust ‘corridors’ at DDCA to help restore its glory days. Honoured to be Government Nominee on DDCA Managing Committee. Thanks @Ra_THORe #humbled
— Gautam Gambhir (@GautamGambhir) November 10, 2017
लेकिन अब यह नियुक्ति हितों के टकराव का मुद्दा बन गया है। दरअसल, न्यूज एजेंसी भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक गौतम गंभीर दिल्ली के लिए प्रथम श्रेणी के मैच खेलते हैं और अगर वह क्रिकेट से संन्यास लेने से पहले इस नीति निर्धारण ईकाई का हिस्सा बनते हैं तो यह मामला लोढ़ा समिति की सिफारिशों के मुताबिक हितों के टकराव के तहत आएगा।
DDCA की यह प्रबंध समिति जब कोच और टीम का चयन करेगी और उस समय गंभीर क्रिकेटर के तौर पर सक्रिय रहते हैं तो उन्हें सीधे फायदा हो सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक हाई कोर्ट द्वारा डीडीसीए के नियुक्त प्रशासक जस्टिस (रिटायर्ड) विक्रमजीत सेन ने कहा कि मौजूदा व्यवस्था में किसी प्रबंध समिति के अस्तित्व के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है।
उन्होंने शनिवार को कहा कि, ‘गंभीर की नियुक्ति को लेकर मुझे सरकार से कोई अधिसूचना नहीं मिली है। किसी प्रबंध समिति के अस्तित्व में होने का मुझे पता नहीं। मैं इस मामले में ज्यादा जानकारी के लिये खेल मंत्रालय को लिखूंगा।’ जस्टिस सेन ने आगे कहा कि गंभीर अभी सक्रिय तौर पर क्रिकेट खेल रहे हैं, इसलिए मैं इस बात को लेकर सुनिश्चित नहीं हूं कि लोढ़ा समिति की सिफारिशें उन्हें किसी तरह का प्रशासनिक पद लेने की अनुमति देगी या नहीं।
उन्होंने कहा कि यह भी पता चला है कि अदालत द्वारा नियुक्त प्रशासक की नियुक्ति के बाद डीडीसीए में इस तरह की कोई प्रबंध समिति नहीं है। किसी को नहीं पता कि कौन इस समिति के सदस्य हैं। गंभीर के एक करीबी दोस्त ने कहा कि अगर हितों के टकराव का मुद्दा खड़ा होता है तो वह इस पद को नहीं लेंगे। बता दें कि गंभीर ने भारत के लिये 58 टेस्ट, 147 वनडे और 37 टी-20 मैच खेले हैं।