डेंगू से पीड़ित सात साल की बच्ची के माता-पिता उस समय चौंक गए, जब उनकी बेटी के इलाज के लिए डॉक्टरों ने उन्हें 18 लाख रुपए का बिल थमा दिया लेकिन 7 साल की बच्ची बच न सकी। बच्ची के पिता ने अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगाया है और कहा है कि बेटी की मौत पहले हो चुकी थी लेकिन अस्पताल ने उन्हें धोखे में रखा और पैसे ऐंठता रहा।
बच्ची के माता-पिता को जो बिल दिया गया वो करीब 19 पन्नों का था। इसमें 661 सीरिंज 2,700 दस्ताने और कुछ अन्य चीजों की कीमत शामिल थी जिसे कथित तौर पर इलाज के समय इस्तेमाल किया गया।
इस घटना को संज्ञान में लेते हुए स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने ट्वीट किया कि कृपया घटना की सारी जानकारी मुझे hfwminister@gov.in पर दें। इस मामले में जरूरी कार्रवाई की जाएगी।
Please provide me details on hfwminister@gov.in .We will take all the necessary action. https://t.co/dq273L66cK
— Jagat Prakash Nadda (@JPNadda) November 20, 2017
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बच्ची के पिता जयंत ने बताया कि बेटी अद्या को 27 अगस्त की रात में तेज बुखार आया जिसके बाद उसे 29 अगस्त को द्वारका सेक्टर 12 के रॉकलैंड अस्पताल में भर्ती किया गया। 31 अगस्त को अद्या को डेंगू टाइप 4 होने की बात पता लगी। रॉकलैंड के डॉक्टरों ने सलाह दी कि उसे पीडियाट्रिक आईसीयू वाले अस्पताल में भर्ती किए जाने की जरूरत है। हम गुड़गांव के फोर्टिस अस्पताल गए और बेटी को तुरंत बेहोशी की दवा देकर वेंटिलेटर पर रख दिया गया। तीन दिन वह बेहोशी में रही। पांचवा दिन हो गया मगर डॉक्टर बात करने को तैयार नहीं थे।
इसके बाद बच्ची के पिता जयंत ने बताया कि अस्पताल ने महंगे ब्रैंड के वायल इस्तेमाल किए जबकि सस्ते उपाय मौजूद थे। मसलन, अस्पताल ने मेरोपेनम इंजेक्शन के 21 वायल दिए। उसने जिस ब्रैंड का वायल इस्तेमाल किया उसका प्रति वायल का बिल ही 3100 रुपये बैठता था जबकि 500 रुपये में सस्ता वायल मौजूद था। जिस ब्लड शुगर टेस्टिंग स्ट्रिप की कीमत 13 रुपये ठहरती है उसके लिए हमसे 200 रुपये प्रति स्ट्रिप चार्ज लिया गया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के अन्य तरीकों से अस्पताल केवल अपना बिल बढ़ाने में लगा रहा जबकि हमारी बच्ची की तरफ से कुछ हलचल नहीं दिख रही थी।
आईसीयू में हम बस अपनी बेटी को शीशे से ही देश सकते थे। 14 सितंबर को बच्ची की मौत हो गई। बच्ची की मां ने कहा कि हमसे उस शीट के पैसे तक वसूले गए जिसमें आद्या को हमें दिया गया।
जयंत अब फोर्टिस पर इस प्रताड़ना के लिए मुकदमा दायर करने की सोच रहे हैं। बीमारी के समय जयंत की पत्नी गर्भवती थीं मगर सदमे में उनका गर्भ गिर गया।