उत्तर प्रदेश के कानपुर जिला प्रशासन ने एक सरकारी आश्रय गृह के बारे में कथित तौर पर झूठी सूचना प्रसारित करने को लेकर अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। बता दें कि, बीते सप्ताह यहां रहने वाली 57 महिलाओं सहित एक कर्मचारी के कोरोना वायरस (कोविड-19) से संक्रमित होने की कथित सूचना सामने आई थी जिसमें दावा किया गया था कि आश्रय गृह की इन संक्रमितों पांच गर्भवती किशोरी भी शामिल हैं।
समाचार एजेंसी आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक, यह प्राथमिकी स्वरूप नगर पुलिस थाने में बुधवार (24 जून) को आईपीसी की संबंधित धाराओं 228-ए, 505 और 188 के तहत दर्ज की गई। इसके साथ ही पुलिस ने महामारी रोग अधिनियम, आपदा प्रबंधन अधिनियम और किशोर न्याय अधिनियम भी लागू किया है।
प्राथमिकी के अनुसार, आश्रय गृह के बारे में सोशल मीडिया और समाचार चैनलों सहित कई प्लेटफार्मों पर झूठी खबरें प्रसारित की गईं थी और वहां रहने वाले लोगों की पहचान उजागर हुई। शिकायत में समाचार रिपोर्ट के स्क्रीन शॉट्स और क्लिपिंग भी शामिल हैं। जांच अधिकारी अमर सिंह ने कहा, हम झूठी सूचना फैलाने वाले व्यक्ति को पकड़ने के लिए सबूत जुटा रहे हैं।
जिलाधिकारी ब्रहमदेव राम तिवारी ने लोगों से आपदा के समय में इस संवेदनशील मुद्दे पर गलत तथ्य ना रखने की अपील करते हुए बुधवार को कहा कि अफवाह फैलाने वालों पर प्रशासन नजर रख रहा है। कानपुर के जिलाधिकारी ने ट्वीट कर कहा कि कुछ लोगों द्वारा कानपुर संवासिनी गृह को लेकर ग़लत उद्देश्य से पूर्णतया असत्य सूचना फैलाई गई है। आपदा के समय ऐसा कृत्य संवेदनहीनता का उदाहरण है। कृपया किसी भी भ्रामक सूचना को जांचें बिना पोस्ट ना करें।
बता दें कि, बीते सप्ताह ख़बर आई थी कि कानपुर में राज्य सरकार द्वारा संचालित बालिका संरक्षण गृह में 57 लोगों की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई थी। इस जांच में 7 बालिकाएं गर्भवती पाई गईं, जिसमें 5 कोरोना पॉजिटिव हैं, शेष 2 की रिपोर्ट निगेटिव पाई गई। कानपुर में पिछले कुछ दिनों में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में इजाफा देखने को मिला है। वहीं, राज्य में इस खतरनाक वायरस की वजह से करीब 600 लोगों की जान जा चुकी है।