जम्मू कश्मीर के लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के हनन को लेकर लोक सेवा से इस्तीफा देने वाले पूर्व आईएएस अधिकारी कन्नान गोपीनाथन ने दावा किया है कि उन्हें यहां सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में जाने से रोक दिया गया। बहरहाल, जयकार नॉलेज सिसोर्स सेंटर के अधिकारियों ने कहा कि गोपीनाथन से सोमवार को पुस्तकालय में जाने के लिए आवेदन देने को कहा गया था। संस्थान प्रक्रिया का पालन कर रहा था।
गोपीनाथन ने ट्वीट किया, ‘‘पुणे विश्वविद्यालय के छात्रों ने मुझे जयकार पुस्तकालय में बुलाया और कहा कि वहां पर बहुत सारे छात्र यूपीएससी की तैयारी करते हैं और वहां मुझसे मिलना पसंद करेंगे। तब पुस्तकालय प्रभारी को अहसास हुआ कि मैं कौन हूं और उन्होंने मुझसे मेरे पुस्तकालय में प्रवेश करने के लिए विचार करने के लिए एक आवेदन देने को कहा।’’ गोपीनाथन ने कहा, ‘‘लेकिन तब छात्रों ने बताया कि नियम के मुताबिक, विश्वविद्यालय/छात्रावास में सरकार के खिलाफ कोई भी राजनीतिक गतिविधि की इजाजत नहीं है। बहरहाल, प्रवेश से रोकने पर अच्छा नहीं लग रहा है। लेकिन नया अनुभव है। सब अच्छा है।’’
Well, at first I was a bit perplexed.
But then the students told that no political activity against Government is allowed in the university/hostel by regulation!
Anyway, being thrown out is not a good feeling. But counts as new experience. So all good. pic.twitter.com/u8TBYEPyip
— Kannan Gopinathan (@naukarshah) September 23, 2019
ट्विटर पर एक छात्र के सवाल का जवाब देते हुए गोपीनाथन ने कहा कि वह सोमवार दोपहर को ही पुणे से रवाना हो गए थे और शहर वापस जरूर आएंगे। तब मिलेंगे।’’ गोपीनाथन ने समाचार एजेंसी पीटीआई (भाषा) से कहा कि छात्र और पुस्तकालय के अधिकारियों के बीच तीखी बहस और तकरार के बाद पुस्तकालय जाने का विचार छोड़ दिया गया। इसके बाद उन्होंने विश्वविद्यालय की एक कैंटीन में छात्रों से बातचीत की।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं शहर में व्याख्यान देने के लिए गया था। कुछ छात्र मुझे विश्वविद्यालय दिखाना चाहते थे और मुझे बताया गया था कि पुस्तकालय बहुत अच्छा है और वहां पर बहुत से छात्र यूपीएससी तथा अन्य लोक सेवाओं की परीक्षाओं की तैयार करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे बताया गया कि ये छात्र मुझसे बात करना पसंद करेंगे।’’ गोपीनाथन ने बताया कि सोमवार को वे पुस्तकालय में गए और प्रभारी से मिले। ‘‘मैंने खुद का परिचय दिया और यह भी बताया कि मैंने (आईएएस से) इस्तीफा दे दिया है और छात्रों ने मुझे अनौपचारिक बातचीत के लिए बुलाया है।’’
अधिकारियों ने गोपीनाथन के साथ किसी भी तरह के गलत बर्ताव करने से इनकार किया है और कहा कि रिकॉर्ड के लिए आवेदन मांगा गया था। एक अधिकारी ने बताया, ‘‘पुस्तकालय आने वाले हर किसी शख्स के लिए नियम समान हैं। जो भी पुस्तकालय आता है हम उससे औपचारिक आवेदन लेते हैं। पिछले साल विश्वविद्यालय के पहले कुलपति डॉ एमआर जयकार के रिश्तेदार पुस्तकालय आए थे और उनसे भी आवेदन (फॉर्म) लिया गया था।’’
बता दें कि कश्मीर मुद्दे पर केंद्र के रवैये को लेकर दादरा नगर हवेली में तैनात युवा आईएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथन ने इस्तीफा दे दिया था। 33 साल के कन्नन गोपीनाथन ने कहा था कि सरकारी अधिकारी होने के नाते वे अनुच्छेद 370 के हटाए जाने पर अपने विचार व्यक्त नहीं कर सकते हैं और इसी मजबूरी की वजह से उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला किया है।